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________________ मिहावलोकन यर ये लोग वैशाली को भगवान महावीर की जन्ममि होने का दावा करने ला हैं। तथापि विवाद-रूप मे वैशाली को भगवान महावीर की जन्ममि नहीं माना जा सकता। खेद का विषय यह है कि पुर्गावदों और इतिहासकारों ने भगवान महावीर के जन्म के सम्बन्ध में गंभीरता-पर्वक गवेपणा नहीं की। वैशाली के पक्ष में उनकी मारी युक्तियां मारहीन और अटकल मात्र हैं विश्लेपण करते ही इनका वास्तविक स्वरूप प्रकट हो जाता है। 2 आधुनिक पाश्चिमात्य एवं भारतीय विद्वानों की मान्यताओं पर सिंहावलोकन १. दिगम्बर सम्प्रदाय नालन्दा के निकट दो मील की ढर्ग पर बइनगर को कण्डलपर मानता है और भगवान महावीर का इमे जन्मस्थान मानता है। २ जर्मन विद्वान स्वर्गीय डा. हर्मनजैकोबी की मान्यता है कि (१) वैशाली का कोटिग्राम ही कंडग्राम भगवान महावीर का जन्मस्थान था। (3) कंडग्राम महानगर नहीं था यात्रियां-मार्थवाहा का सामान्य विश्रामस्थान था। (३) कोटिग्राम ही कंडग्राम था और आतिक जातात्रय थे। (४) कंडग्राम वैशाली का एक महिला था। (५) भगवान महावीर का जन्मस्थान व निवासस्थान वैशाली था। (६) महावीर का पिता सिद्धार्थ गजा नहीं था कंवल क्षत्रिय उमगव था। (७) त्रिशला का देवी के रूप मल्लख नहीं हआ इालय वह गनी न । थी। (८) चटक वैशाली का गजा नहीं था। उमगव-महल का नेता था। ३. जर्मन विद्वान डा. हानले मानता है कि १) वैशाली का कोन्लाग महिला ही आंत्रयकर महावीर का जन्मस्थान था। जानखंडवन उद्यान और दतिपलाशचन्य उद्यान दोनों एक ही थे और वह वैशाली में था। . . .
SR No.010082
Book TitleBhagwan Mahavir ka Janmasthal Kshatriyakunda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1989
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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