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________________ * २४वें तीर्थंकर का जन्मस्थान और राजकुमार काल अतः यह निर्विवाद है कि जैनधर्म की संस्कृति वेदकाल पूर्व की होने से विश्व में प्राचीनतम आदर्श संस्कृति है । " चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म और राजकुमार काल तीर्थंकर महावीर का जो चरित्र जैन साहित्य में पाया जाता है वह संक्षेप से इस प्रकार है जैनागमों तथा विभिन्न जैनग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि ई. पू. ५९९ वर्ष में चैत्र शुक्ला त्रयोदशी को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में (क्षत्रियकुंडग्राम) में भगवान महावीर का जन्म काश्यप गोत्रीय ज्ञातृवंश के क्षत्रिय राजा सिद्धार्थ की धर्मपत्नी रानी त्रिशलादेवी जो विदेह गणतंत्र की राजधानी वैशाली के वाशिष्ठ गोत्रीय लिच्छिवीवंश के क्षत्रिय महाराजा चेटक की बहन थी उस की कुक्षी से हुआ था। भगवान महावीर की जन्म कथा में कुंडग्राम के दो भाग ब्राह्मणकुंडग्राम (माहणकुंडग्गाम) और क्षत्रियकुंडग्गाम (खत्तीयकुडंग्गाम) के उल्लेख पाये जाते हैं। सर्वप्रथम भगवान ब्राह्मणकुंडग्राम निवासी कोडालगोत्रीय ब्राह्मण ऋषभदत्त की भार्या जालन्धर गोत्रीय देवानन्दा के गर्भ में अवतीर्ण हुए पश्चात् सौधर्मेन्द्र के दूत द्वारा ब्राह्मणी देवानन्दा के गर्भ से क्षत्रियानी रानी त्रिशला के गर्भ में स्थानान्तरित किये गये हैं। कल्पसूत्र में इसका विस्तृत वर्णन मिलता है। यह प्रकृति का नियम है कि तीर्थंकर क्षत्रिय राजकुल में ही जन्म लेते हैं यदि किसी पूर्वजन्म कृत अशुभ कर्म के योग से कर्मफल को भोगने के लिए तीर्थंकर का जीव किसी अन्य जाति की स्त्री के गर्भ में उत्पन्न भी हो जावे तो देवताओं के राजा सौधर्मेन्द्र का कर्तव्य है कि वह उस तीर्थंकर के गर्भगत भ्रूण को क्षत्रियानी रानी के गर्भ में अपने देवदूत द्वारा प्रतिष्ठापित करा दें। महावीर का शैशव व राजकुमार काल उसी प्रकार लालन-पालन एवं शिक्षा से व्यतीत हुआ जैसा उस काल में राजभवनों में प्रचलित था। उनकी बाल-क्रीड़ा का एक आख्यान पाया जाता है। कि उन्होंने एक भीषण सर्प का दमन किया था और इसी वीरता के कारण देव ने उन्हें वीर की उपाधि प्रदान की थी। राजकुमार वर्धमान महावीर का विवाह राजकुमार वर्धमान जब युवा हुए तब उनके माता पिता ने शुभ मुहूर्त में
SR No.010082
Book TitleBhagwan Mahavir ka Janmasthal Kshatriyakunda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1989
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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