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________________ त्रियकड है। पर इनमें भी मतैकता नहीं है। इसका कारण यह है कि इन लोगों ने गंभीरता से निर्णय न लेकर मात्र अटकलपच्ची से काम लिया है। २. डा. जैकोबी, डा. हानले ने जैनशास्त्रों की विवेचना करते हुए कुछ प्रांत धारणाओं की स्थापनाएं की हैं। डा. हानले के मतानुसार वाणीयग्गाम (वाणिज्यग्राम) वैशाली का दूसरा नाम था, यानि वैशाली और वाणिज्यग्राम को एक माना है। अतः वैशाली भगवान महावीर का जन्मस्थान था।43 ३. डा. जैकोबी ने ई. म. १९३० में एक लेख लिखा था, जिसमें वैशाली, वाणिज्यग्राम और कंडग्राम का समूह ही वैशाली था। कंडग्राम के निकट कोल्लाग एक मोहल्ला था ऐमा उल्लेख किया है। " इन प्रांत मान्यताओं की समीक्षा १.त्रिष्टि शलाकापुरुष चरित्र में भगवान के वैशाली से वाणिज्य ग्राम की ओर जाने का उल्लेख है। इस मे स्पष्ट है कि ये दोनों प्रथक-पृथक थे। 45 यानि वैशाली मे विहार करके भगवान नाव द्वारा वाणिज्यग्राम की ओर गये और रास्ते में उन्हें 'गंडकी नदी को पार करना पड़ा। अतः वैशाली और (वाणिज्यग्राम के बीच में पानी मे भरी हुई गंडकी नदी थी। यह इतिहास-प्रसिद्ध बात है। इसलिये दोनो नगर अलग-अलग थे। एक गंडकी नदी के पर्वीतट पर तथा दसरा पश्चिमीतट पर था। इलिये यह स्पष्ट है कि वैशाली और वाणिज्यग्राम एक नहीं थे। पर ये दोनों थे विदेह जनपद में ही। २. शास्त्रों में क्षत्रियकंड के पास गंडकी नदी अथवा इस के तट पर कंडपर अथवा क्षत्रियकंड होने का एक उल्लेख भी नहीं मिलता। इसलिये क्षत्रियकंड के पाम गंडकी नदी थी यह भी सप्रमाण नहीं है। इसलिये मानना चाहिये कि वैशाली और कंडग्रामक नहीं थे। अतः वैशाली भगवान महावीर का जन्मस्थान नहीं हो सकता। ३. अतः वैशाली, कंडग्राम एवं वाणिज्यग्राम एक नहीं हो सकते। क्योंकि इन्हें एक मान लेने का कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है। कोल्लाग वैशाली का मोहल्ला नहीं था। वैशाली गंडकी नदी के पर्वीतट पर था, वाणिज्यग्राम पश्चिमीतट पर था। यहां से उत्तर-पश्चिम-कोण में कोल्लाग गांव था। जैनशास्त्रों में कोल्लाग चार कहे हैं। यथा (१) विदेह के वाणिज्यग्राम के निकट कोल्लाग। 46 (२) क्षत्रियकुंड के पास कोल्लागा (३) राजगृही के पास कोल्लाग और4 (४) चम्पा के पास कोल्लाग। (ये चारों अलग-अलग जनपदों
SR No.010082
Book TitleBhagwan Mahavir ka Janmasthal Kshatriyakunda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1989
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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