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________________ क्षत्रियकंड उपर्युक्त नं. ख में जो स्व० दिगम्बर डा. हीरालाल जैन ने उद्धरण दिये हैं। उन में भी भगवान महावीर के वैशाली में जन्मस्थान का कोई उल्लेख नहीं है। नं.१ में कंडपर किस जनपद में था न तो इस का कोई उल्लेख है और नहीं वैशाली का संकेत है। ___ न. २, ३ और ४ में विदेह कंडपुर का उल्लेख तो है, पर वैशाली का नाम निर्देश नहीं है। दिगम्बर आचार्यपुष्पदंतकृत महापुराण में वैशाली को सिन्धु जनपद में माना है। यथा "सिन्धुवसई बहसालीपुर वीर" अर्थान- वैशाली मिन्ध जनपद में है। २. दिगम्बर मंस्कृत उत्तरपुगण में कहा है"सिन्ध्याख्य भूभृद् विशाली नगरेऽभवत्। चेटल ख्यातोsति विख्यातो विभीत परमार्हतः।।" अर्थात- मिन्धु जनपद में वैशाली नाम की नगरी थी। वहां अतिविख्यात परमाहन (परमजैन) विनीत चेटक गजा था १. उपर्युक्त दोनों उद्धरणों से स्पष्ट है कि दिगम्बरों ने चेटक की वैशाली नगरी मिन्धदेश (वर्तमान पाकिस्तान) में मानी है। जोकि इतिहास और भूगोल मे एकदम निराधार है। २. कुंडपुर भगवान महावीर के पिता राजा सिद्धार्थ की गजधानी विदेह जनपद में थी जहां भगवान महावीर का जन्म हुआ था यह भी एकदम निगधार है। क्योंकि ऐसा उल्लेख अन्यत्र कहीं नहीं मिलता। अतःजिन उपर्युक्त उद्धरणों के आधार पर वर्तमान दिगम्बर विद्वानों ने विदेह जनपद की वैशाली नगरी को महावीर का जन्मस्थान मानकर यहां अपने नये तीर्थ की स्थापना की है कितनी निराधार और हास्यास्पद है। अतः यह स्पष्ट है कि दिगम्बरमत के अनुसार भी जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र के भारतवर्ष में विदेह जनपद की गजधानी वैशाली को ही भगवान महावीर का जन्मस्थान मानना एकदम भामक है और यह भी स्पष्ट है कि इन की प्राचीन मान्यता-मगध जनपद में नालंदा के निकट कंडलपर को महावीर का जन्मस्थान मानना इन्ही के शास्त्र प्रमाणों से एकदम अप्रमाणिक सिद्ध होता है। ३. बर्द्धमागधी जैनागमों (श्वेताम्बर जैनों द्वारा मान्य) में यह कहीं भी निर्दिष्ट नहीं है कि कंडपुर विवेह जनपद में था। परन्त जिन दिगम्बर पुराणों और कथा-चरित्र-ग्रंथों के उपयुक्त
SR No.010082
Book TitleBhagwan Mahavir ka Janmasthal Kshatriyakunda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1989
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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