SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 54
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६२.पोट बामनयन जातियां है-चतुष्पप और परिसर्प। चतुष्पद के चार प्रकार बताये गय है। इसी प्रकार परिसप की मख्य दो जातियां हैं । ___माकाश में स्वच्छन्द विहार करने मे समथ जीव नभचर कहलाते हैं। ऐसे जीव मख्यतया चार प्रकार के है। इस तरह पञ्चेद्रिय तियञ्च मख्यत तीन प्रकार के हैं । इनकी आयु निम्नतम अन्तमहत्त तथा अधिकतम १ करोड पूर्व जलचर की ३ पयोपम स्थलघर की तथा असत्यय भाग पल्योपम की ह। शेष क्षत्र एव कालकृत वर्णन द्वीन्द्रियादि की १ चउप्पया य परिसप्पा दविहा थलयरा भवे ॥ उत्तराध्ययनसूत्र ३६४१७९ । २ एगखुरा दखुरा चेव गण्डीपय-सणप्पया । हयमाइ-गोणमाइ गयमाइ सीहमाइणो । वही ३६।१८ । ३ भुओ रगपरिसप्पा य परिसप्पा वुविहा भवे । गोहाई अहिमाई य एक्केवका डण गहा भवे ॥ वही ३६।१८१ । ४ चम्मे उ लोम पक्खी य तइया समुग्गपाक्खया। विययपक्खी य बोद्धन्वा पक्खिणो य चउन्विहा ।। १८८। ५ ७ लाख ५६ हजार करोड वर्षों का एक पूर्व होता है । वही आत्माराम टीका प १७४५ । ६ एगा य पुष्य कोडीमो उक्कोसेण वियाहिया । आउटिठई जलयराणं अन्तोमुहुत्त अहन्निया । वही ३६।१७५ पलिमोवमाउ तिण्णि उ उक्कोसेण वियाहिया। आउटिठई पल यराण अतोमुहुत्त जहन्निया । वही ३६।१८४ पलि ओवमस्स भागो असखज्जइमो भवे । आउटिठई खहयराण अन्तोमुहुत्त जहलिया । वही ३६६१९१ ।
SR No.010081
Book TitleBauddh tatha Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendranath Sinh
PublisherVishwavidyalaya Prakashan Varanasi
Publication Year1990
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy