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________________ यद्यपि चामुण्डराय को हिंसा में पक्का विश्वास था परन्तु सेनापति होते हुए उन्हों ने देश की रक्षा व जनता के हित के लिए बड़ी-बड़ी लड़ाइयां लड़ीं और विजय पाई। उन्हें विश्वास था कि अहिंसा कभी किसी को कायर नहीं बनाती बल्कि जो बहादुर होते हैं वही असली कर्मवीर बन पाते हैं और हिंसा का ठीक-ठीक पालन कर सकते हैं । अभी थोड़े ही दिन की बात है कि इसी विश्वास को लेकर बापू ने स्वतन्त्रता की लड़ाई लड़ी और देश को अंग्रेजों की दासता से छुड़ाया । वर्त्तमान काल के ये महापुरुष जिनके बराबर अहिंसा में पूरा विश्वास रखने वाला इस जमाने में कोई नहीं हुआ, क्या कायर थे ? हमारी सरकार हिंसा में विश्वास रखती है परन्तु हमारे वीर सैनिक जो देश की रक्षा के लिए भयंकर युद्ध लड़ कर अपने जान की बाजी लगा देते हैं, क्या कायर हैं ? इसलिए जो लोग यह कहते हैं कि अहिंसा मनुष्य को कायर वना देती है, वे भारी भूल करते हैं । चामुण्डराय ने कितने ही युद्ध जीत कर 'समर धुरंधर', 'वीर मार्त्तण्ड', 'समर परशुराम', 'सुभट चूढ़ामणि', इत्यादि अनेक उपाधियां पाईं । ग्राज भी भारत के वीर सिपाही जब युद्ध में बड़ी बहादुरी के काम .३६
SR No.010076
Book TitleSaral Manav Dharm Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendra Sen
PublisherShakun Prakashan Delhi
Publication Year
Total Pages69
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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