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________________ उन्हों ने लिखने-पढ़ने और विद्या सीखने की व्यवस्था की। पशपालन के द्वारा दूध, दही, घी इत्यादि पैदा करना सबसे पहले मनुष्य को भगवान ऋषभदेव ने ही सिखाया। व्यापार, शिल्प और सेवा कर के अपना पालन करना भी मनुष्य ने सबसे पहले तभी सीखा । इस तरह उन्हों ने कठिनाई में पड़ी हुई जनता को जीवित रहने के साधन दिखाए और इसी कारण उनको प्रजापति कहा जाता है। समाज में जो जैसा कार्य करता है उसके अनुसार ही भगवान ऋषभदेव ने प्रजा को चार भागों में बांटा जो विद्याध्यन करते थे और अन्य लोगों को भी पढ़ना लिखना सिखाते थे उन को ब्राह्मण कहा जाता था और जो अस्त्र-शस्त्र में कुशल बन कर देश की रक्षा करने के लिए अपनी जान तक देने के लिए तैयार रहते थे उन को क्षत्री कहा जाता था। इसी प्रकार जो लोग व्यापार करते थे उन को वैश्य तथा जो केवल सेवा करने के ही योग्य होते थे उन को शूद्र कहा गया। ____ जैन लोग भगवान ऋषभदेव को अपने धर्म का चलाने वाला मानते हैं और इसीलिए उन को आदिनाथ भी कहा जाता है। वे २४ तीर्थंकरों में सव से पहले तीर्थंकर थे। हिन्दू पुराणों में भी जिन २४ अवतारों
SR No.010076
Book TitleSaral Manav Dharm Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendra Sen
PublisherShakun Prakashan Delhi
Publication Year
Total Pages69
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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