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________________ सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका भाषाटीका 1 [ ७११ सोहम्मेसारणहारमसंखेरण य संखरूवसंगुणिदे । उवरि असंजद-मिस्सय-सासणसम्माण अवहारा' ॥६३६॥ सौधर्मेशानहारमसंख्येन च संख्यरूपसंगुरिणते । उपरि असंयतमिश्रकसासनसमीचामवहाराः ॥६३६॥ टोका - बहुरि ताके ऊपरि सनत्कुमार - माहेंद्र स्वर्ग है । तहां असयत विपै सौधर्म - ईशान संबंधी सासादन का भागहार ते असंख्यात गुणा भागहार जानना । इस असंयत का भागहार तै चकार करि असख्यात गुणा मिश्र विष भागहार जानना। यातै संख्यात गुणा सासादन विषै भागहार जानना। ___ आगै इस गुणने का अनुक्रम की व्याप्ति दिखावै है सोहम्मादासारं, जोइसि-वण-भवण-तिरिय-पुढवीसु । अविरद-मिस्सेऽसंखं, संखासंखगुण सासणे देसे ॥६३७॥ सौधर्मादासहस्रारं, ज्योतिषिवनभवनतिर्यक्पृथ्वीषु । अविरतमिश्रेऽसंख्यं संख्यासंख्यगुणं सासने देशे ॥६३७॥ टीका- सौधर्म - ईशान के ऊपरि सानत्कुमार - माहेन्द्र ते लगाइ शतारसहस्रार पर्यत पच युगल अर ज्योतिषो अर व्यंतर अर भवनवासी अर तिर्यच पर सात नरक की पृथ्वी इनि सोलह स्थान संबधी अविरत विष अर मिथ विप प्रसख्यात गुणा अनुक्रम जानना । अर सासादन विष संख्यात गुणा अनुक्रम जानना । पर तिर्यंच सबधी देशसयत विष असख्यात गुणा अनुक्रम जानना, सो इस कथन का दिखाइए है ___ सानत्कुमार - माहेद्र विष जो सासादन का भागहार कह्या, तीहिंस्यो ब्रह्मब्रह्मोत्तर विषै असंयत का भागहार असंख्यात गुणा है । यातै मिश्र का भागहार अगख्यात गुणा है । यात सासादन का भागहार संख्यात गुणा है। सख्यात की सहनानी च्यारि ।४। का अक है । बहुरि यात लांतव कापिष्ठ विष असंयत का भागहार अनख्यात गुणा है । यातै मिश्र का भागहार असंख्यात गुणा है । यातै सामादन ना नाग १ पट्खण्डागम - धवला पुस्तक ३, पृष्ठ सल्या २८२ से २८५ तक । २. पट्खण्डागम - धवला पुस्तक ३, पृष्ठ सस्या २८२ से २८५ तक।
SR No.010074
Book TitleSamyag Gyan Charitra 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year1989
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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