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________________ सम्यग्ज्ञानचन्जिका भाषाटोका ] [ ६६३ अण्णोण्णुवयारेण य, जीवा वटंति पुग्गलाणि पुणो। देहादी-रिणवत्तण-कारणभूदा हु णियमेण ॥६०६॥ अन्योन्योपकारेण च, जीवा वर्तन्ते पुद्गलाः पुनः । देहादिनिर्वर्तनकारणभूता हि नियमेनं ॥६०६॥ टीका - बहुरि जीव द्रव्य है, ते परस्पर उपकार करि प्रवर्ते है । जैसे स्वामी तो चाकर को धनादिक देव है, अर चाकर स्वामी का जैसे हित होइ अर अहित का निषेध होइ तैसे कर है; सो असे परस्पर उपकार है। बहुरि आचार्य तो शिष्य कों इहलोक परलोक विष फल को देनेहारा उपदेश, क्रिया का आचरण करावना असें उपकार करै है। शिष्य उन आचार्यनि की अनुकूलवृत्ति करि सेवा करै है। जैसे परस्पर उपकार है; जैसे ही अन्यत्र भी जानना । बहुरि चकार तै जीव परस्पर अनुपकार, जो बुरा करना, तिसरूप भी प्रवत है वा उपकार - अनुपकार दोऊ रूप नाही प्रवर्ते है। बहुरि पुद्गल है, सो देहादिक जे कर्म, नोकर्म, वचन, मन, स्वासोस्वास इनिके निपजावने का नियम करि कारणभूत है । सो ए पुद्गल के उपकार हैं। इहां प्रश्न - जो जिनिका आकार देखिये जैसे औदारिकादि शरीर, तिनिकौं पुद्गल कहौ, कर्म तो निराकार है, पुद्गलीक नाही। तहां उत्तर - जैसे गोधूमादिक, अन्न - जलादिक मूर्तीक द्रव्य के संबंध ते पच है, ते गोधूमादिक पुद्गलीक है । तैसे कर्म भी लगुड़, कटकादिक मूर्तीक द्रव्य के संबंध तै उदय अवस्थारूप होइ पचे है, तातै पुद्गलीक ही है। वचन दोय प्रकार है - एक द्रव्यवचन १, एक भाववचन २ । तहा भाववचन तौ वीर्यातराय, मति, श्रुत आवरण का क्षयोपशम अर अंगोपाग नामा नामकर्म का उदय के निमित्त तैं हो है । तातै पुद्गलीक है। पुद्गल के निमित्त विना भाववचन होता नाही । बहुरि भाववचन की सामर्थ्य को धरै, जैसा क्रियावान जो आत्मा, ताकरि प्रेरित हुवा पुद्गल बचनरूप परिणवै है, सो द्रव्यवचन कहिए है । सो भी पुद्गलीक ही है, जातै सो द्रव्यवचन कर्ण इद्रिय का विषय है, जो इन्द्रियनि का विषय है, सो पुद्गल ही है। इहां प्रश्न - जो कर्ण विना अन्य इंद्रियनि का विषय क्यों न होइ ? तहां उत्तर - जो जैसे गंध नासिका ही का विषय है, सो रसनादिक करि गंडा नं जाय । तैसे शब्द' कर्ण ही का विषय है, अन्य इद्रियनि करि योग्य नाहीं।
SR No.010074
Book TitleSamyag Gyan Charitra 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year1989
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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