SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 557
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका भाषाटीका ] [ ६३१ बाह्य सूची विषं वलय का व्यास घटाएं, जो रहे, ताका चौगुणा व्यास ते गुणये, एक लाख के वर्ग का भाग दीजिए, तब जबूद्वीप के समान गोलाकार खडनि का प्रमाण हो है । उदाहरण - जैसे लवणसमुद्र की बाह्य सूची पांच लाख योजन, तिसमे व्यास दो लाख योजन घटाइए, तब तीन लाख योजन भये, याकौं चौगुणा व्यास माठ लाख योजन करि गुरिणये, तब लाख गुणा चौईस लाख भये । याकौ एक लाख का वर्गका भाग दीजिए, तब चौईस पाये, तितने ही जंबूद्वीप समान लवण समुद्र विषै खड है, असे सूत्रनि ते साधन करि खंड ज्ञान करना । बहुरि इहा द्वीप सबधी खंडन की छोडि, सर्व समुद्र सबंधी खडनि का ही ग्रहण कीजिये, तब जंबूद्वीप समान चौईस खंडन का भाग समुद्रखंडनि को दीए, जो प्रमाण आवै; तितना सर्व समुद्रनि विपे लवण समुद्र समान खड जानने । सो लवण समुद्र खडनि को चौईस भाग दीए, एक पाया, सो लवण समुद्र समान एक खड भया । कालोद समुद्र के छ से बहत्तर खडनि कौ चौवीस का भाग दीये, अट्ठाईस पाये, सो कालोद समुद्र विषै लवण समुद्र समान अठाईस खड हो है । जैसे ही पुष्कर समुद्र के खडनि को भाग दीये च्यारि से छिन खड हो है । वारुणी समुद्र के खडनि को भाग दीये, आठ हजार एक से अठाइस ख़ड हो है । क्षीरसमुद्र के खडनि को भाग दीये, एक लाख तीस हजार आठ से सोलह खड हो है | अँसे ही स्वयंभूरमण समुद्र पर्यत जानना । सो जानने का उपाय कहै है के यहु लवणसमुद्रसमान खडनि का प्रमाण ल्यावने की रचना है । धनराशि ऋणराशि २ १६ १६ २ २ २ १६ १६ १६ १६ १६ १६ १६ १६ १ १ १ १ ४ ४ ४ ४ ४ ४ ४ ४ ४ ४ समुद्र क्षीरवर वाणीवर पुष्कर कालोन लवनोद
SR No.010074
Book TitleSamyag Gyan Charitra 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year1989
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy