SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 510
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५८० ] [ गोम्मटसार जीवकाण्ड गाथा ४८१ टीका -- पल्य के असंख्यात भाग करिए, तामै एक भाग प्रमाण संयमासंयम का धारक जीव द्रव्यनि का प्रमाण है । बहुरि ए कहे जे छहौ संयम के धारक जीव, तिनका संसारी जीवनि का प्रमाण में स्यो घटाए, जो अवशेष प्रमाण रहै; सोई असंयमी जीवनि का प्रमाण जानना । · इति श्री आचार्य नेमिचद्र विरचित गोम्मटसार द्वितीयनाम पंचसंग्रह ग्रंथ की जीवतत्वप्रदी - पिका नाम सस्कृत टीका के अनुसारि सम्यग्ज्ञान चद्रिका नामा भाषाटीका विषै जीवकाण्ड विपै प्ररूपित बीस प्ररूपणा तिनिविषे सयममार्गरणा प्ररूपणा है नाम जाका सा तेरह्वां अधिकार सपूर्ण भया ॥ १३ ॥
SR No.010074
Book TitleSamyag Gyan Charitra 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year1989
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy