SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 457
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५२२ ] [ गोम्मटसार जीवकाण्ड गाथा ३७१ अवधीयत इत्यवधिः सीमाज्ञानमिति वरिणतं समये । भवगुणप्रत्ययविधिकं, यदवधिज्ञानमिति ब्रुवंति ॥३७०॥ टीका - अवधीयते कहिए द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव करि परिमाण जाका कीजिए, सो अवधिज्ञान जानना । जैसे मति, श्रुत, केवलज्ञान का विषय द्रव्य, क्षेत्रादि करि अपरिमित है; तैसै अवधिज्ञान का विषय अपरिमित नाही। श्रुतज्ञान करि भी शास्त्र के बल तै अलोक वा अनन्तकाल आदि जाने । अवधिज्ञान करि जेता द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव प्रमाण आगे कहेगे; तितना ही प्रत्यक्ष जाने । तातै सीमा जो द्रव्य क्षेत्रादि की मर्यादा, ताको लीए है विषय जाका, असा जो ज्ञान, सो अवधिज्ञान है; असे सर्वज्ञदेव सिद्धांत विष कहे है। सो अवधिज्ञान दोय प्रकार कह्या है। एक भवप्रत्यय, एक गुणप्रत्यय । तहा भव जो नारकादिक पर्याय, ताके निमित्त तै होइ; सो भवप्रत्यय कहिए, जो नारकादि पर्याय धारै ताके अवधिज्ञान होइ ही होइ, तातै इस अवधिज्ञान को भवप्रत्यय कहिए । बहुरि गुणप्रत्यय कहिए सम्यग्दर्शनादि रूप, सो है निमित्त जाका; सो गुणप्रत्यय कहिए । मनुष्य, तिथंच सर्व ही कै अवधिज्ञान नाही; जाकै सम्यग्दर्शनादिक की विशुद्धता होइ, ताकै अवधिज्ञान होइ, तातै इस अवधिज्ञान को गुणप्रत्यय कहिए। भवपच्चइगो सुरणिरयारणं तित्थे वि सव्वगुत्थो। गुणपच्चइगो परतिरियाणं संखादिचिह णभवो ॥३७१॥ भवप्रत्ययकं सुरनारकाणां तीर्थेऽपि सर्वागोत्यम् । गुरणप्रत्ययक नरतिरश्चां शंखादिचिह्न भवम् ॥३७१॥ टीका - तहा भवप्रत्यय अवधिज्ञान देवनि के, नारकीनि के अर चरम शरीरी तीर्थंकर देवनि के पाइए है । सो यहु भवप्रत्यय अवधिज्ञान 'सर्वागोत्थं' कहिए सर्व आत्मा के प्रदेशनि विष तिष्ठता अवधिज्ञानावरण अर वीर्यांतराय कर्म, ताके क्षयोपशम तै उत्पन्न हो है। वहुरि गुणप्रत्यय अवधिज्ञान है, सो पर्याप्त मनुष्य अर सैनी पंचेद्री पर्याप्त तिर्यच, इनिके सभवै है । सो यहु गुणप्रत्यय अवधिज्ञान 'शंखादिचिन्हभवम्' कहिए
SR No.010074
Book TitleSamyag Gyan Charitra 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year1989
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy