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________________ सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका भाषाटीका ] [ २६५ बहुरि इंद्रिय मार्गणा विषै एकेद्रिय का जघन्य अंतर क्षुद्रभव, उत्कृष्ट अंतर पृथक्त्व कोडि पूर्व अधिक दोय हजार सागर । विकलेन्द्रिय का जघन्य अतर क्षुद्रभव, उत्कृष्ट अंतर असंख्यात पुद्गल परिवर्तन मात्र है । यहु अंतर एकेद्रियादिक पर्यायनि का कह्या है, गुणस्थान मिथ्यादृष्टि ही है, ताका तहा अंतर है नाही । पचेद्रिय विषे मिथ्यादृष्टि का सामान्यवत्, सासादनादि च्यारि उपशमक पर्यंतनि का जघन्य अंतर सामान्यवत्, उत्कृष्ट अंतर पृथक्त्व कोडि पूर्व अधिक हजार सागर है । अवशेषनि का सामान्यवत् अंतर है । बहुरि काय मार्गणा विषै पृथ्वी, आप, तेज, वायुकाय का जघन्य क्षुद्रभव उत्कृष्ट असंख्यात पुद्गल परिवर्तन अर वनस्पति का जघन्य क्षुद्रभव, उत्कृष्ट असख्यात लोक मात्र अंतर है । यहु अंतर पृथ्वीकायिकादि का कया है, गुणस्थान मिथ्यादृष्टि है | ताका तहा अंतर है नाही । त्रसकायिक विषै मिथ्यादृष्टि का सामान्यवत्, सासादनादि च्यारि उपशमक पर्यंतनि का जघन्य सामान्यवत्, उत्कृष्ट पृथक्त्व कोडि पूर्व अधिक दोय हजार सागर अंतर है । अवशेषनि का सामान्यवत् अंतर है । बहुरि योग मार्गणा विषै मन, वचन, काय योगनि विषै संभवते गुणस्थाननि का वा अयोगी का अतर नाही, जातै एक ही योग विषै गुणस्थानातर को प्राप्त होइ करि विवक्षित गुणस्थान विषै प्राप्त होता नाही । बहुरि वेद मार्गणा विषे स्त्री, पुरुष, नपुसक वेदनि विषै मिध्यादृष्टि आदि दोऊ उपशमक पर्यत जघन्य अंतर सामान्यवत् है । उत्कृष्ट अंतर स्त्रीवेद विषं मिथ्यादृष्टि का देशोन पंचावन पत्य, औरनि का पृथक्त्व सौ पल्य पुरुषवेद विषै मिथ्यादृष्टि का सामान्यवत्, औरनि का पृथक्त्व सौ सागर । नपुंसकवेद विषै मिथ्यादृष्टि का सागर देशोन, औरनि का सामान्यवत् अंतर है । दोय क्षपकनि का सामान्यवत् अतर है । बहुरि वेदरहितनि विषे उपशम अनिवृत्तिकरण, सूक्ष्म सापराय का जघन्य वा उत्कृष्ट अंतर अतर्मुहूर्त है, औरनि का अंतर नाही है । बहुरि कषाय मार्गणा विषै क्रोध, मान, माया, लोभ विषै मिथ्यादृष्ट्यादि उपशम अनिवृत्तिकरण पर्यंत का मनोयोगवत्, दोय क्षपकनि का अर केवल लोभ विषै सूक्ष्मसापराय के उपशम वा क्षपक का अर अकषाय विषै उपशातकषायादि का अंतर नाही है ।
SR No.010074
Book TitleSamyag Gyan Charitra 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year1989
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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