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________________ २६० ] [ गोम्मटसार जीवकाण्ड गाया ११७ का भाग दीए जो प्रमाण होइ, ताका भाग दीए जितने पावै, तितने असख्यात वर्पनि के समय जानने । इस प्रमाण करि तिस उद्धार पल्य के रोम खडनि की गुण अद्धा पल्य के रोमनि की संख्या आवै है। जैसे तीन प्रकार पल्य कहे । जैसे खास विर्षे अन्न भरिए, तैसे इहां गर्त विष रोम भरि प्रमाण कह्या, ताते याका नाम पल्योपम कह्या है । बहरि इनिको प्रत्येक दश कोडाकोडि करि गुणे अपने-अपने नाम का सागर होइ । दश कोडाकोडि व्यवहार पल्य करि व्यवहार सागर, उद्धार पल्य करि उद्धार सागर, अद्धा पल्य करि अद्धा सागर जानना । इहां लवण समुद्र की उपमा है, तात याका नाम सागरोपम है, सो याकी उत्पत्ति कहिए है - लवण समुद्र की छेहड की सूची पाच लाख योजन ५००००० (५ ल) आदिकी सूची एक लाख योजन (१०००००) इनिकी मिलाय ६ ल आधा व्यास का प्रमाण लाख योजन करि गुरिणये, तव ६ ल ल । वहुरि याके वर्ग को दशगुणा करिये, तव करणिरूप सूक्ष्म क्षेत्र होइ ६ ल ल ६ ल ल १० । याका वर्गमूल प्रमाण लवण समुद्र का सूक्ष्म क्षेत्रफलं है। वहुरि तिस करणिरूप लवरण समुद्र के क्षेत्रफल को पल्य का गर्त एक योजन मात्र, ताका करणिरूप सूक्ष्म क्षेत्रफल एक योजन का वर्ग दशगुणा को योजन का चौथा भाग के वर्ग का भाग दीए जो होड, तीहि प्रमाण है । ताका भाग देना ६ ल ल ६ ल ल १० । सो इहां दश करणि करि दश करणि का अपवर्तन करना । बहुरि भागहार का भागहार राशि का गुणकार होड, इस न्याय करि भागहार दोय जायगा च्यारि करि राशि का दोय जायगा छक्का का गुणकार करना २४ ल ल २४ ल ल, तब पल्य गर्तनि के प्रमाण का वर्ग होड । याका वर्गमूल ग्रहै सर्व गर्तनि का प्रमाण लाख गुणा चोवीस लाख प्रमाण हो है । याको हजार योजन का औडापन करि गुण सर्व लवण समुद्र विपै पल्यगर्त मारिखे गर्तनि का प्रमाण हो है - २४ लल १००० । याको अपने-अपने विवक्षित पल्य के गेम खंडनि करि गुणे गर्तनि के रोमनि का प्रमाण हो है । बहुरि छह रोम जितना क्षेत्र रोके, तितने क्षेत्र का जल निकासने विष पचीस समय व्यतीत होय, तो सर्व रोमनि के क्षेत्र का जल निकासने मे केते समय होय ? असे त्रैराशिक करना । तहा प्रमाण गणि रोम छह. (६), फल राशि समय पचीस (२५), इच्छा राशि सर्व
SR No.010074
Book TitleSamyag Gyan Charitra 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year1989
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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