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________________ २३६ ] [ गोम्मटसार जीवकाण्ड गाथा ११७ कहिये । वहरि तीनि कौ आदि देकरि एक घाटि उत्कृष्ट सख्यात पर्यन्त मध्यम संख्यात जानना । सो जघन्य (परीतासंख्यात) कितना है ? ताके जानने निमित्त उपाय कहै है । अनवस्था, शलाका, प्रतिशलाका, महाशलाका ए नाम धारक च्यारि कुड करने । तिनिका प्रत्येक प्रमाण जबूद्वीप समान अनास्था ग्गासपोजन १०0000 भई योजन १००० शलाका व्यास योजन Pa000 अंदाई योजन ११०० प्रतिशलाका न्यासयोजन १००००० ऊडाई योजन १००० महाशाखाका ध्याम योजन १००००० ऊहाई योजन १००० लाख योजन चौडा पर एक हजार योजन ऊंढा जानना । तिनि विर्षे अनवस्था कुंड को सिघाउ गोल सरसौ करि भरना । केते सरसौनि करि भरै, सो कहिए है - एक, नव, सात, नव, एक, दोय, विदी, नव, दोय, नव, नव, नव, छह, आठ इतने तो अंक अनुक्रम ते लिखने, तिनके आगे इकतीस बिदी और लिखनी, इतने प्रमाण सरिसौ ती उस कूड के माही मावै । (१९७६१२०९२६६६६८०००००००००००००००० ००००००००००००००० ) वहुरि उस कुड के ऊपरि आकाश विष राशि करिए, सो सिघाउ भरना कहिए, सो ऊपरि कितने सरसी का ढेर होइ, सो कहिए है। एक सात, नव, नव, दोय विदी, बिदी, पाठ, च्यारि, पाच, च्यारि, पांच, एक, छह इतने ती अनुक्रम ते लिखने अर इनिके आगै सोलह वार छत्तीस-छत्तीस लिखने । (१७ ६६२००८४५४५१६ ३६ ३६ ३६ ३६ ३६ ३६ ३६ ३६ ३६ ३६ ३६ ३६ ३६ ३६ ३६ ३६ ) इतनी सरसी, वहुरि च्यारि सरसो का ग्यारहवा भाग ( ११ ) इतनी मरसी का परि ढेर होड । इनिका फलावना गोल घनरूप क्षेत्रफल के करण नृत्रनि करि वा अन्य राशि के करण सूत्रनि करि होइ है, सो त्रिलोकसारादिक सौ जानना । इनि दोऊ राशि को जोड दीजिए, तव एक हजार नव सै सत्ताणवै कोडाकोटि कोटाकोटि कोडाकोडि ग्यारा लाख गुणतीस हजार तीन से चौरासी कोडाकोडि गोटाकोटिकोडि इक्यावन लाख इकतीस हजार छ सै छत्तीस कोडाकोडि कोडाकोडि दाग लाग्य छनीम हजार तीन से प्रेसठि कोडाकोडि कोडि तरेसठि लाख तरेसठि कार छनोम कोडाकोडि छत्तीस लाख छत्तीस हजार तीन से तरेसठि कोडि
SR No.010074
Book TitleSamyag Gyan Charitra 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year1989
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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