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________________ | गोम्मटमार जीवकाण्ड गाथा १०६ २१६ सै, ताकी इस तीन से एक प्रमाण भागहार का भाग दीए जो पाइए, तितने का भागहार संभव है । तहां हारस्य हारो गुरणकौशराशेः' इस करग सूत्र करि भागहार का भागहार है, सो भाज्य राशि का गुणकार होइ, असे भिन्न गगित का आश्रय करि अडतालीस सै को तीन सै एक करि ताकी अडतालीस सै का भाग दीए इतने प्रमाण तिस प्रवक्तव्य भागवृद्धि का प्रथम अवगाहन भेट के वृद्धि का प्रमाण हो है । सो अपवर्तन कीए तीन से एक ही आवे है । सो यह संख्यात-असख्यातरूप भागहाररूप न कह्या जाय; तातै प्रवक्तव्य भाग वृद्धिरूप कह्या है । भावार्थ - इहां असा जो भिन्न गणित का प्राथय करि इहा भागहार का प्रमाण असा प्राव है । वहुरि जैसे यह अंकसष्टि करि कयन कीया, असे ही अर्यसंदृष्टि करि कथन जोडना । इस ही अनुक्रम करि प्रवक्तव्य भाग वृद्धि के अंतस्थान पर्यन्त स्थान ल्यावने । बहुरि तिस प्रवक्तव्य भाग वृद्धि का अत अवगाहना स्थान विषै एक प्रदेश जुडै सख्यात भाग वृद्धि का प्रथम अवगाहन स्थान हो है । ताके आगे एक-एक प्रदेश की वृद्धि का अनुक्रम करि अवगाहन स्थान असख्यात प्राप्त हो है। अवर अवरुवार, उड्ढे तड्डिपरिसमत्तीहु। रूवे तदुवरि उढ्डे, होदि अवत्तमपटमपदं ॥१०॥ प्रवरार्धे अवरोपरिवृद्धे तवृद्धिपरिसमाप्तिहि । रूपे तदुपरिवृद्ध, भवति अवक्तव्यप्रथमपदम् ॥१०६॥ टीका - जघन्य अवगाहना का आधा प्रमाणरूप प्रदेश जघन्य अवगाहना के ऊपरि ववते सते संख्यात भाग वृद्धि का अंतस्थान हो है । जातं जघन्य संख्यात का प्रमाण दोय है, ताका भाग दीए राशि का आवा प्रमाण हो है । बहुरि ए सख्यात भाग वृद्धि के स्थान देते है ? सो कहिए है - 'आदी अंले सुद्धे वट्टिहिदे स्वसजुदे ठाणे' इस नूत्र करि सख्यात भाग वृद्धि का आदिस्थान का प्रदेश प्रमाण को अंतस्थान का प्रदेश प्रमाण विष घटाइ अवशेष की वृद्धि का प्रमाण एक का भाग दीए भी तितने ही रहे । तहा एक जोडे जो प्रमाण होइ, तितने संख्यात भाग वृद्धि के स्थान है । बहुरि संख्यात भाग वृद्धि का अंत अवगाहना स्थान विप एक प्रदेश जुडै, प्रवक्तव्य मागवृद्धि का प्रथम अवगाहन स्थान उपजे है । वहुरि ताके आगे एक-एक प्रदंग बग्ता अनुक्रम करि अवक्तव्य भाग वृद्धि के स्थान असंख्यात उलंघि एक जायगा कह्या, मो कह है।
SR No.010074
Book TitleSamyag Gyan Charitra 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year1989
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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