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________________ १२४] [गोम्मटसार जीवकाण्ड गाथा४४ अर प्रथम कोठा विष विदी, द्वितीय कोठा विपै ऊपरि की दोय पंक्ति के अंत का कोठा के जोडें दश होंइ सो, अर तृतीयादि कोठानि विपै सोई दश-दश वधाइ लिखे हैं । अर ताके नीचे कषाय पंक्ति विष पचीस कोठे करि, तहां अनंतानुवंधी क्रोधादि लिखे। अर प्रथम कोठा विर्षे विदी, दूसरा कोठा विष उपरि की तीन पंक्ति का अंत के कोठानि का जोड साठि लिखि, तृतीयादि कोठानि विपै तितने-तितने वधाइ लिखे । बहुरि ताके नीचे विकथा पंक्ति विष पचीस कोठा करि तहां स्त्रीकथादि लिखे । अर प्रथम कोठा विष बिंदी, द्वितीय कोठा विर्ष ऊपरि की च्यारि पंक्तिनि के अंत कोठानि का जोड पंद्रह सै, तृतीयादि कोठानि विर्षे तितने-तितने ही वधाइ लिखे है। जैसे प्रथम प्रस्तार अपेक्षा यंत्र भया । ( देखिए पृष्ठ १२५) वहुरि साडा सैतीस हजार प्रमाद भंगनि का द्वितीय प्रस्तार अपेक्षा गूढ यंत्र लिखिए हैं। तहां ऊपरि विकथा पंक्ति करी, तहां पचीस कोठे करि, तहां स्त्रीकथादि लिखे । अर एक, दोय आदि एक-एक वधता अंक लिखे, ताके नीचे-नीचें कपाय पंक्ति अर इंद्रिय पंक्ति अर निद्रा पंक्ति पर प्रणय पंक्ति विप क्रम ते पचीस, पचीस, छह, पांच, दोय कोठे करि तहां अपने-अपने उत्तर भेद लिखे । वहरि इन सब पंक्तिनि के प्रथम कोठा विप विदी लिखी । अर दूसरा कोठा विपं अपनी-अपनी पंक्ति तै परि क्रम ते एक, दोय, तीन, च्यारि पंक्ति, तिनके अंत कोठा संवंवी अंकनि को जोड़ें, पचीस, छह सै पचीस, साडा सैतीस सै, अठारह हजार सात से पचास लिखे । बहुरि तृतीयादि कोठानि विष जेते दूसरे कोठा विपैं लिखे, तितने-तितने वधाइ, क्रम ते अंत कोठा पर्यत लिखे है । अस द्वितीय प्रस्तार अपेक्षा यंत्र जानना । (सोही यंत्र का कोठा को विवि वा अक्षर अंकादिक कही विवि मजिव क्रम ते यंत्र रचना विधि लिखि है । ) १ इसप्रकार साढा सैतीस हजार प्रमाद का गूढ यंत्र कीए। (देखिए पृष्ठ १२६) . तहां प्रथम प्रस्तार अपेक्षा कोऊ पूछे कि इन भंगनि विपै पैतीस हजारवां भंग कौन है ? तहां प्रणय पंक्ति का दूसरा कोठा, निद्रा पंक्ति का पांचवां कोठा, इंद्रिय पंक्ति का दूसरा कोठा, कपाय पंक्ति का नवमा कोठा, विकथा पंक्ति का चौवीसवां कोठा, १ यह वाक्य यह हस्तलिखित प्रतियों में नहीं मिला।
SR No.010074
Book TitleSamyag Gyan Charitra 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year1989
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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