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________________ गरीब पिता का पुत्र नहीं । फिर भी अपनी शिक्षा का सारा ख़र्चा अपने परिश्रम से चलाता हूँ । देखो, यह कोट भी मेरी ही कमाई का है। बैंक में भी मेरे डेढ सौ रुपये जमा हैं। मैं अपने मा बाप पर भार होकर रहना नहीं चाहता। उन्हें उस बालक के विचार जान कर बड़ा अचरज हुआ । वे मन में कहने लगे-'इस देश के छोटे २ बच्चे भी जब अपने पाँचों पर खड़े रहना चाहते हैं तो यहाँ उन्नति क्यों न हो ? एक तो अमेरिका का यह छोटा बालक है और दूसरे हैं हमारे भारत के सयाने युवक जो मा वापों पर भार होकर रहते ही नहीं बल्कि वैसे रहने को आनन्द मानते हैं।' __ प्यारे विद्यार्थियो ! आप अपने पिता के धन को परमार्थ में लगाकर हुनर व पुरुषार्थ से अपना गुजारा करें । पशु पक्षी भी अपने अङ्ग की मेहनत से पेट भरते हैं । जो मनुष्य खुद मेहनत नहीं करता और दूसरों की कमाई से जीवन विताता है, वह मनुष्य पशु पक्षी से भी खराब है। किसी प्रकार आलसी नहीं रहना चाहिये ।
SR No.010061
Book TitleJain Shiksha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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