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________________ ( ३३ ) २-ऊंट पर चढ़ कर झोके खाने वाला और याद कर कर के बही खाता लिखने वाला गिरे बिना न रहेगा। ३-बही खाते को, (नामे को) रोज देखने भालने वाला फायदा ही उठाता है। ४-बही खाता सरस्वती है, लक्ष्मी है, व्यापारी का प्राण है । उसे सदा शुद्ध और स्वच्छ रखना चाहिये । ५-पैसा हाथ में आये विना जमा नहीं करना चाहिये और लिखे विना देना न चाहिये । ६-बही खाता महीने की अन्तिम मिती तक रोजाना साफ़ लिखते रहना चाहिये । ७-देना बहुत हो जाने से वही खाते देखते आलस्य श्राता है, झुंझलाहट होती है और ऐसा होना आखिरकार फजीहत कराता है । ( दिवाला निकलने का कारण है) ८-अपने वहीखाते किसी को व्यर्थ न दिखलाने चाहिये और प्रसंग श्रा पड़ने पर वैसा करने से चूकना भी न चाहिये। -वहीखाते सदा अपने ही हाथ में रखने चाहिये ।
SR No.010061
Book TitleJain Shiksha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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