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________________ छोटासा बालक अज्ञानतावश राजपथ पर मल त्याग करदे तो वह अपराधी नहीं ठहरता है। लेकिन एक कानूनदॉ वकील राजप्रासाद के नजदीक की गटर में पेशाब कर देने मात्र से अपराधी बन जाता है। इसी तरहसे अज्ञानी से ज्ञानी पर विशेष जिम्मेदारी रही हुई है और यही कारण है कि मनुष्य अल्प समय में ही सातवीं नरक का अधिकारी बन सकता है। संसार के वर्तमानमें उपलब्ध सब कीमती पदार्थों में कोहेनूर हीरा अत्याधिक मूल्यवान वस्तु है । किंतु कोई अज्ञानी उसे खा जाय तो वह मूल्यवान् वस्तु उसके लिये विष से भी भयंकर सिद्ध हो सकती है । वैसे ही मानवभव-रूपी चिंतामाण रत्नका धर्म आराधनमें सदुपयोग किया जाय तो वह अनंत सुख प्रद हो सकता है और विषय-वासनामय जीवन व्यतीत करने में अगर उसका दुरुपयोग किया जाय तो वह भयंकर दुःख दावानल के आगार नरक मे डाल देता है। विज्ञान और संयम । " एक कृषक आमकी गुठली को जमीनमें दो देता है और दूसरा उसे भून कर खा जाता है। खाने वाले को क्षणिक स्वाद का अनुभव हुआ और न खाने वाले को इंद्रिय निग्रह का अल्प कष्ट । पाठकों ! दोनों के परिणामों पर जरा विचार करिये। खाने वाले को क्षणिक १ स्वाद मिल कर रह गया । लेकिन बोने वाला थोडे वाम *
SR No.010061
Book TitleJain Shiksha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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