SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 248
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २३ ) 1 में जान नहीं है किन्तु कुत्ते में है । ऐसी मिथ्या समझ वाले ( गाय में जीव न मानने वाले) मनुष्य के मन को भी न दुखाना यहां तक पहुंच गये हैं. गाय का मांस खाने वाले आज चैतन्यवाद के पुजारी बनकर गाय का दूध, दही, घी, और चमडे का भी बहिष्कार करने लगे हैं. और मनुष्य व पशु की रक्षा के लिये स्थान स्थान पर औषधालय खोलकर उनकी रक्षा करते हैं. भारतवर्ष के ' कितनेक मनुष्यों से भी युरोप के कितनेक पशुओं का खान पान अच्छा है भारत के अशिक्षित मनुष्यों से युरोप के जानवर अधिक मूल्यवान होते हैं युरोप की गाय बैल, सांढ घोडे २५ हजार से लगाकर ५० हजार तक की कीमत के होते हैं गाय और सांढ का संयोग कराने में सैकडों रुपये गाय वाला सांढ वाले को देता है. इधर भारतवर्ष के मनुष्य गली २ में भटक कर प्रमेह आदि भयंकर रोगों के शिकार बन रहे हैं. युरोप के जानवरों की नस्ल दिनों दिन सुधर रही है परन्तु भारतवर्ष की प्रजा दिन व दिन निर्बल बन रही है युरोप में गाय और सांड, कुत्ता और कुत्ती के संयोग के पहिले उनकी डाक्टरी परीक्षा करवा ली जाती है तब ही संतान वृद्धि के लिये योजना की जाती है. परन्तु भारतवर्ष में लड़के और लड़कियों के विवाह रूप रंग और धन देखकर किये जाते हैं ज्ञान सदाचार और तन्दुरस्ती का ख्याल कम किया जात उपरोक्त कथन से आप सोच सक्ते हैं कि पश्चिम में
SR No.010061
Book TitleJain Shiksha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy