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________________ ( ८ ) मनुष्य और पशु संसार वर्तमान समय में इस संसार मे प्राय: करके पशु और पक्षियोंसे भी मनुष्य का जीवन प्रत्यक्ष में बहुतही पुण्यहीन दिखाई दे रहा है । जवान बैल तथा घोड़े पर मर्यादित बोझा लादा जाता है मर्यादा से अधिक नहीं लादने वावत म्युनिसिपालिटी का प्रबंध है । वृद्धावस्था वृद्धापकाल के लिये स्थान २ पर गोशालाएं बनी हुई हैं जहां वे अपनी शेष जिंदगी आराम से व्यतीत कर सकें । लेकिन अभागे मनुष्य के लिये युवा तथा वृद्ध किसी भी अवस्था में आराम नहीं है । उम्र बढ़ने के साथ २ ही उसकी पापमय जीवन में प्रवृत्ति चिंता एवं उपाधियां वगेरह बढ़ती जाती हैं । धन के लिये अपना जीवन पशु से भी बुरी तरह व्यतीत करने पर भी मनुष्य पशु के समान निश्चिंतता से दाल रोटी न तो खुदही खा सकता है और न दूसरों को खिला सकता हैं । इस पर से यह सिद्ध हुआ कि मनुष्य देह धन कमाने के लिये नहीं है किंतु एकमात्र धर्म आराधना के लिये ही है । राजकुमार यदि राजसिंहासन का त्यागकर बांस ने के लिये जंगल में जाय तो बांस के बदले अपनी
SR No.010061
Book TitleJain Shiksha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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