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________________ दूसरा भाग १३ ६-धन को खोदने का कुल्हाड़ा दान है। ७-दानी वही है जो सरोवर की माफक रात्रि दिन किसी __ को इन्कार नहीं करता। ८-तीर्थकर भी मोक्ष जाने के पहिले ३८८८० लाख सोनया का का दान देते हैं और जगत को दान देना सिखाजाते हैं। ९-दरिया का पानी और कुंजूस का धन दोनों बराबर है। १०-सत्य और प्रेम का उपदेश देकर गुनाहों को रोकने वाली पोलीस वही साधु । ११-जोह को साकल को तोड़ना सहज है किन्तु तष्णा कारतोड़ना मुश्किल है। १२-हीरा, मोती, मानक, रूप पत्थर को कीमती समझते हो परन्तु धर्म को नहीं । १३-नागिन को वश करना सहज है किन्तु ममता को वश करना मुश्किल है। १४-नाखो शत्रु मित्र बन सकते है किन्तु एक बुरा काम मित्र नहीं बन सकता है। १५-रूठे हुए लाखों को समझाना सहज है किन्तु रूठे हुए हस को समझाना दुष्कर है । १६-तलवार और बन्दूक के घाव से वचन का घाव तेज है। १७-दुश्मन से दाव पेच करते हो वैसा मोह से करो । १८-७२ कला और १८०० भाषा का ज्ञान सरल है किन्तु एक प्रात्मा का ज्ञान होना मुश्किल है। १९-दंभका बुगलों का, दया का, वाज का, हरामी का, टोड़ों
SR No.010061
Book TitleJain Shiksha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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