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________________ श्री अक्षयकुमार जैन, वी० ए० मेरी शुभकामना कान्फ्रेंस के साथ है । इस समय कान्फ्रेंस को कि जैन समाज जीवित है और हमे हर प्रकार के सकटो से मुकाबिले के चाहिए। आर्य सत्याग्रह का उदाहरण हमारे सामने है जब कि निजाम पड़ा था। इस दिशा मे हमे पहले अधिकारियो से मिलकर मामला तय करना इससे उद्देश्य सिद्धि न हो तो हमे सबसे सुगम कदम उठाना चाहिए। सेठ सागरमल जैन, कलकत्ता कान्फ्रेंस के उद्देश्यो की सिद्धि के लिए हर प्रकार की सेवा करने को तैयार हूँ । दिखला देना चाहिए लिए तैयार रहना बहादुर को झुकना चाहिए और अगर मुनि श्री ज्ञानसुन्दरजी महाराज - धावू मन्दिरो के टैक्स के विरोध मे श्रापका प्रयास स्तुत्य है और मैं हृदय से सफलता चाहता हूँ । इतना ध्यान अवश्य रखिए कि जैन समाज में प्रारम्भ में 'सूरा' वाली कहावत अक्सर चरितार्थं होती देखी गई है। पहले तो हम लोग बहुत जोश दिखाते है, पर बाद मे पानी के बुदबुदे की तरह बैठ जाते हैं। पर मुझे आशा हैं कि आप लोग इस नियम के अपवाद है और आपके प्रयत्न से यह कार्यं सफल होगा । श्री खेमचन्दजी सिंधी, भू० पू० रेवेन्यू कमिश्नर, सिरोही मैं आशा करता हूँ कि इस मामले को कान्फ्रेंस द्वारा उचित ढंग से सफल बनाया जाएगा। इस समय अत्यन्त आवश्यकता है कि जैनो श्रीर हिन्दुओ पर समान रूप से प्रभाव डालने बाला यह अनुचित कर समाप्त होना चाहिए। इस कान्फ्रेंस द्वारा किए जाने वाला निश्चय सभापति द्वारा महाराजा साहिब सिरोही के पास भेजा जाना चाहिए। और इस सम्बन्ध में प्रतिष्ठित जैनो और हिन्दुओ का प्रतिनिधिमण्डल महाराजा साहिव से मिले । आपकी हर प्रकार से सफलता चाहता हूँ । श्री गुलाबचंदजी ढड्डा आपकी कान्फ्रेंस की हर प्रकार से सफलता चाहता हूँ । श्री गुलाबचदजी जैन, दिल्ली सुप्रसिद्ध भाव के जैन मन्दिरो पर लगे हुए अनुचित करो को हटाने के आपके पुनीत प्रयत्न की हर प्रकार से सफलता चाहता हूँ। और आशा करता हूँ कि इस उद्देश्य को सफल बनाने के लिए समस्के भारतवर्ष के जैन सगठित होकर मोर्चा लेंगे । सेठ मोहनलाल हेमचदजी, बम्बई मुझे आपके प्रयत्नो के साथ पूरी सहानुभूति है । सिरोही दरवार के साथ प्रयत्न कीजिए कि वह दर्शनार्थियो की असुविधा और कठिनाइयो को बढाने वाले इस कर को हटा लें । श्री फकीरचंद जैन, सिरोही सिरोही राज्य ने भावू देलवाड़ा के मन्दिरो के प्रति जो नीति अख्तियार की है वह [ ४५
SR No.010058
Book TitleTansukhrai Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar, Others
PublisherTansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size16 MB
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