SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 67
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दिखता । ये देशी राजा होते हुए नौ पूरी लूट मचाते है। किसी धर्मस्थान के ठेकेदार बनकर कंजूस से कंजूस पडो को भी मात कर रहे हैं। उनकी यह नीति भ्रष्टता और क्षत्रियत्व के विरुद्ध होने से वर्णभ्रष्टता अत्यन्त निन्दनीय है । इन्हें अपना कहते हुए शर्म मालूम होती है। आप इसके लिए पूरी कोशिश करें । सेठ पोषराजजी, सिकन्द्राबाद- कान्फ्रेंस की हर प्रकार से सफलता चाहता हूँ । श्री बहादुरसिंहजी सिंघी, कलकत्ता मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि ब्यावर मे जैनो को कान्फ्रेंस सिरोही राज्य द्वारा देलवारा के जैन मन्दिरो पर लगाए गए टैक्सो को हटवाने के लिए प्रयत्न करने जा रही है। यह और भी प्रसन्नता का विषय है कि ग्राप उस कान्फ्रेंस का सभापतित्व करने जा रहे है। मैं कान्फ्रेंस की हार्दिक सफलता चाहता हूँ । इस सम्बन्ध मे पोलिटिकल एजेन्ट पर प्रभाव डाला जाय और उन्हें इन टैक्सो के औचित्य के सम्बन्ध मे विश्वस्त कराया जाय तो मेरी राय में समस्या सानी से सुलझ सकती है। मैं आशा करता हूं कि इस अवसर पर समस्त जैन समाज संगठित होकर सयुक्त रूप से मोर्चा बनाएगा । श्री एस० आर० ढड्डा सेक्रेटरी चैम्बर आफ कामर्स कलकत्ता- आपने आबू के मंदिर के टैक्सों को उचित ढंग से उठाया है । ला० अमोलकचदजी जैन, खडवा सी० पी० सिरोही राज्य के अन्याय के विरुद्ध आपका आन्दोलन स्तुत्य व सराहनीय है। इस आन्दोलन को जोरदार बनाने को जो भी योजना भेजें उसे में सक्रिय रूप देने को तैयार हूँ । सेठ सुखदेव तुलाराम लाडनू कान्फ्रेंस के साथ हमारी पूर्ण सहानुभूति है । श्री एम० वी० महाजन एडवोकेट जनरल सेक्रेटरी, आल इंडिया जैन एसोसिएनन अकोला मैं जैन समाज को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उसने आबू के मंदिरों के टैक्सों के आन्दोलन के लिए श्राप जैसा नेता प्राप्त किया। लेकिन मैं भाशा करता हूँ कि जब यह मामला एक बार उठाया गया है तो उसे बीच ही में न छोड़ा जाएगा क्योकि इससे अपने उद्देश्य को सफलता मे धक्का ही नही लगता, वरन् मेरी दृष्टि से जैन समाज ही इस देश में जो भी थोड़ी बहुत प्रतिष्ठा है वह भी खतरे मे पड़ सकती है। भागा है आप इस दिशा में प्रभावशाली कदम उठाएंगे । गम्भीर मौर श्री अमरचन्द कोचर म्यु० मेम्वर फलौदीकान्फ्रेंस की पूर्ण सफलता चाहता हूँ । BAAD [ ४३
SR No.010058
Book TitleTansukhrai Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar, Others
PublisherTansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy