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________________ ASTE N HER Nare-PROFILES unt . a se. । kontyss. wst DHAMARPITAMIL RRHOEAMMA BASSAMEnvkinar indane SHAIR . ........ दिल्ली में सामूहिक विवाह का एक दृश्य । माननीय प्रायंगर सा की अध्यक्षता में पं० शीलचन्दजी शास्त्री गृहस्थाचार्य का कार्य करते हुए : इस योजना को सफल बनाने और इसे कार्य-रूप में परिणत करने का बहुत कुछ श्रेय स्व० वैरिस्टर साहब के अनन्य सहयोगी सेठ गोमालालजी सागरवालो को है जिन्होंने इस योजना का सफल नेतृत्व करके इसे सफलतर और सफलतम बनाया। इन्ही महानुभावो के सततप्रयासो से आन बुन्देलखण्ड और मध्यप्रदेश में हजारो आदर्श विवाह हो चुके है। वैरिस्टर साहब ने अपने जीवन मे स्थान-स्थान परजारो आदर्श विवाहो का आयोजन कराया । मादर्श विवाह हमारे लिए इसलिए प्रावश्यक है कि हम विवाहो के अवसर पर होने वाले अपव्यय, वाह्याडम्बर और अनावश्यक रूढियो और रीति-रिवाजी से चल सकें । समाज में घनी-निर्धन, ग्रामीण, नागरिक आदि सभी गृहस्थों को समान स्तर पर लाया जा सके तथा अनेकानेक वर्तमान कुरीतियों से मुक्ति प्राप्त की जा सके । इस योजना के मूल में एक ही प्रेरणा गतिशील है कि आर्थिक विपन्नता के कारण आज जो व्यक्ति अविवाहित रह पाते हैं या कि जिनके विवाह सम्बन्ध अनेक कठिनाइयो के बाद विलम्ब से होते है, उन्हें राहत मिल [ २६
SR No.010058
Book TitleTansukhrai Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar, Others
PublisherTansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size16 MB
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