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________________ कुशल व्यवसायी ला० तनसुखराय जैन की स्मृति में ★ श्री तनसुखराय स्मृति ग्रन्थ ★ प्रसिद्ध देशभक्त कर्मवीर समाजसेवी याद तुम्हारी सेवाएँ आती हैं तनसुखराय यो तो जग अनादि से, सुनता आया अगनित नाम ! जीवित वही बचा है, जिसके साथ जुडा है काम । केवल सेवाएँ जीती हैं, मृत- मानव के बाद | जिसने यह रहस्य पहिचाना, वची उसी की याद । ( २ ) तन का सुख यदि प्रमुख रहा, तो मिला न मन का बोध | मन का बोध मिला तो, पथ का लोप हुआ अवरोध । त्याग तथा सेवाओं द्वारा प्राणी बना महान् । उपकारी का सारा जीवन, जीवन का वरदान । www कठिन समस्याओ मे दीखे कभी न तुम निरुपाय | याद तुम्हारी सेवाएँ आती हैं तनसुखराय । इसी दिशा पर वढे सदा, तुम रह कर मंद कषाय । याद तुम्हारी सेवाएँ आती है तनसुखराय ।
SR No.010058
Book TitleTansukhrai Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar, Others
PublisherTansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size16 MB
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