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________________ पहली दिसम्बर को श्री कवरसेन ने प्रधान मंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू के परामर्श पर राजस्थान नहर योजना के प्रशासक का पद सभाल लिया । बाद में दिसम्बर १९५८ मे केन्द्रीय सिंचाई और विद्युत मंत्री के सभापतित्व मे एक उच्चस्तरीय निर्देश समिति स्थापित की गई । यह समिति सरकार की प्रमुख नीतिया निर्धारित करेगी । इसी समिति के अन्तर्गत राजस्थान नहर मण्डल की स्थापना हुई जिसके प्रधान श्री कवरसैन है । यह मण्डल राजरथान नहर योजना के समस्त कार्य को शीघ्रता तथा कुशलता के साथ पूरा कराएगा। इसके अतिरिक्त नहर योजना क्षेत्र के समस्त विकास कार्यों की जिम्मेदारी इसी मण्डल पर रहेगी । निर्देश समिति और मण्डल की स्थापना एक नई प्रणाली है जो इस महान् योजना के लिए भारत मे पहली बार अपनाई गई है। राजस्थान नहर योजना राजस्थान नहर ४२६ मील लम्बी होगी और इसका साढे अट्ठारह हजार घन फुट पानी सतलुज नदी पर बनाए गए हरिके बाघ से आएगा । अनुमान है जलाशय के वाघो के निर्माण व्यय को छोड़ इस योजना पर साढे ६६ करोड रुपए की लागत आएगी । श्रागा है योजना के पूर्ण हो जाने पर देश की अन्न की उपज मे वीस लाख टन वार्षिक की वृद्धि हो जाएगी, जिसका मूल्य कोई तीस करोड रुपया बैठता है । यह कहना अतिशयोक्ति न होगी कि राजस्थान नहर योजना ससार की एक बहुत वडी सिंचाई योजना होगी। अभी तक ससार मे कही भी इतनी बडी सिचाई योजना का कार्य हाथ मे नही लिया गया है । इस नहर मे से बहुत बडी सत्या मे रजवाहे और सिंचाई के लिए छोटी-छोटी नहरें निकलेगी। भारत और एशिया मे यह सबसे लम्बी नहर होगी । राजस्थान नहर योजना के लाभ मुख्य नहर के निर्माण काल मे लगभग पचास हजार से अधिक लोगो को रोजगार मिलेगा । इसके अलावा नहर का निर्मारण हो जाने पर कृषि क्षेत्र में कोई पचास हजार परिवारो को काम मिल जाएगा | रेलवे, सडक निर्माण, समाज सेवा, व्यवसाय और उद्योग के क्षेत्र मे भी बहुत लोग काम पर लग जाएगे । जहाजरानी इस समय राजस्थान के मरुस्थल प्रदेश मे सडके नाम को भी नही हैं, उचित सचार और परिवहन व्यवस्था स्थापित करने मे समय लगेगा, इसलिए नहर इतनी बडी बनाने का विचार है, जिसमे जहाज और वड़ी नौकाए चल सके। इससे नहर क्षेत्र मे वस्तिया वसाने और डाक-तार, रेल प्रादि के निर्माण के लिए लकडी काफी बडी मात्रा में हरिके वाघ से लाई जा सकेगी। उसके अलावा राजस्थान नहर की जहाजरानी, कृषि, श्रन्य पदार्थों तथा ऐसी ही अन्य चीजो को मण्डियो मे लाने का एक सस्ता साधन सिद्ध होगी । [ १७५
SR No.010058
Book TitleTansukhrai Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar, Others
PublisherTansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size16 MB
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