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________________ पEAM "TITMEt EMAIL । F RajaRPF Gehi .. RANDROXEHENSin NRN DON P8 STU lesed SEARNAMA RS बैरिस्टर चम्पतरायनी स्वनामधन्य वैरिस्टर चम्पतरायजी उच्चकोटि के विद्वान, समाज-सुधारक और जन सिद्धान्त के दिग्गज विद्वान थे। उन्होंने विदेशो मे जाकर जैन धर्म का माधुनिक ढग से प्रचार किया । वे यह अनुभव करते थे कि पाश्चात्य ससार तार्किक और वैज्ञानिक है उन्होने थोड़े ही समय मे पाशातीत उन्नति को है। वे बहुत जल्दी वस्तु के सही रूप को ग्रहण करने में सिद्धहस्त है । यदि ऐसे विद्वानो के सम्मुख जैनधर्म का मर्म रक्खा जाय तो उनकी आत्मा को अपूर्व शान्ति मिलेगी और विश्व अहिंसात्मक भावनामो की ओर अग्रसर होगा। वैरिस्टर साहव इसी भावना से विदेशो मे गये और उन्होने जन्म भर जैन धर्म का प्रचार किया। वैरिस्टर सा० ने अग्रेजी में जैन-साहित्य लिखकर मानव समाज की अपूर्व सेवा की है। उनका प्रभाव विदेशो मे खूव पडा । जहाँ भी वे गये उनका पूर्व सत्कार हुआ। जैन समाज के कई उदीयमान युवक उनसे इतने प्रभावित थे कि जैन-साहित्य और समाज की सेवा के लिए उन्होने जीवन में प्रशसनीय कार्य किया । ला० तनसुखरायजी के जीवन पर उनका अद्भुत प्रभाव पड़ा। जो उन्हे समाज-सेवा के मार्ग की ओर अग्रसर कर सका। [१३५
SR No.010058
Book TitleTansukhrai Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar, Others
PublisherTansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size16 MB
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