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________________ सन् ४४-४५ मे वनस्पति घी निपैध कमेटी के पद पर रहते हुए, आपने आन्दोलन किया और हजारो आदमियो के हस्ताक्षर कराकर, सरकार के पास भेजा। सन ४६ में अखिल भारतवर्षीय मानव धर्म (ह्य मेनिटेरियन) सम्मेलन जिसकी अध्यक्षता श्रीमती रुकमणि देवी अरुण्डेल ने की थी, उस सम्मेलन के प्रधानमत्री धनकर उसे सफल बनाने का कार्य किया। सन् ४७-४८ मे अग्नवाल महासभा, वैश्य कान्फेस व वैश्य महासभात्तथा मारवाडी सम्मेलन कलकत्ता के कार्य को देहली बढ़ाकर उसका सचालन किया। सन् ४१-५०-५१ मे अग्रवाल महासभा को अधिक गति दी। उसका अधिवेशन भरवालो के उत्पति स्थान अमरोहा में हुमा, उसके प्रधान श्री कमलनयनजी वजाज बम्बई थे। उस अधिवेशन को सफल बनाने में प्रमुख भाग लिया। अ०भा० अग्रवाल महासभा के प्रधानमंत्री नियुक्त हुए। सन् ५३-५४ मे म० भारतीय अग्रवाल सभा के अध्यक्ष का कार्य किया। इसी वर्ष बम्बई जीव-दया मण्डली के कार्य का दिल्ली मे विशेष प्रचार किया- ओर इस काम को बढ़ाया। साथ ही 'रविदास' जन्म उत्सव की स्वागत समिति के चेयरमैन पद पर रहकर उस उत्सव को सफल बनाया। सन् ५५ मे भारत की वेजिटेरियन सोसायटी द्वारा शाकाहार भोजन का प्रचार किया। सन् ५६ में प्र० मा० दि० जैन परिषद के देवगड अधिवेशन मे आपको प्रधानमन्त्री बनाया गया। सन् ५८ मे दरियागज देहली कांग्रेस मण्डल कमेटी के सदस्य चुने गये । सन् ५८ से अब तक आप अस्वस्थ रहते हुए भी बराबर धार्मिक, सामाजिक कार्यों में यथाशक्ति भाग लेते रहते है । इस प्रकार आपका पूरा जीवन सामाजिक, राजनैतिक तथा धार्मिक कार्यो मे ही व्यतीत हुआ। पाप समाज के कर्मठ कार्यकर्ता थे । भारत जैन महामण्डल के कार्यों में दिलचस्पी लेते रहे और उस काम को वढाने मे प्रयत्नशील रहे। १४ जुलाई, १९६३ को ६४ वर्ष की अवस्था मे पापका स्वर्गवास हो गया । जिससे समाज का एक तेजस्वी नक्षत्र उठ गया। लालाजी के उत्तम कार्यों की स्मृति सदी जनता के मानस पलट पर बनी रहेगी। [ 8
SR No.010058
Book TitleTansukhrai Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar, Others
PublisherTansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size16 MB
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