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________________ श्रीमान देशभक्त, कर्मवीर लाला तनसुखराय के प्रति श्री राजेन्द्र कुमार 'कुमरेश' श्रायुर्वेदाचार्य चन्देरी (मध्य प्रदेश) देशभक्त तुममे स्वदेश का था अनुपम अनुराग । सदा राष्ट्र के लिए हृदय मे जाग रही थी माग | श्रागे बढकर स्वतन्त्रता के लिए किया सग्राम | किया दिखावा कभी न तुमने चाहा कभी न नाम ॥ सह न सके तुम कही धर्म का किंचित् भी अपमान ! लगा दिए अवसर आने पर अपने तन-मन-प्राण || सदा रूढियों के विरुद्ध तुम करते रहे प्रचार ! नित कुरीतियो की छाती पर करते रहे प्रहार | अलख जगाते रहे जागरण का स्व-जाति मे मौन । धर्मं समाज स्वदेश हितैपी तुमसा साधक कौन || कर्मवीर यश अाकांक्षी तुम्हें न था अभिमान । होता रहे स-शक्त देश यह था उर मे अरमान ॥ है कर्मठ ! सेवक समाज के याद तुम्हारी आय । श्रद्धाञ्जलि लो भ्राज हमारी लाला तनसुख राय ॥ * जैन जाति दया के लिए खास प्रसिद्ध है, और दया के लिए हजारो रुपया खर्च करती हैं । जैनी पहले क्षत्री थे, यह उनके चेहरे व नाम से भी जाना जाता है । जैनी अधिक शान्ति प्रिय हैं । श्री माटोरोय फिल्ड सा० कलेक्टर [ e५
SR No.010058
Book TitleTansukhrai Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar, Others
PublisherTansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size16 MB
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