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________________ दो शब्द अनन्त सुखो को देने वाला 'मनुष्य-भव' जहाँ एक ओर अत्यन्त महत्वपूर्ण है, वहाँ दूसरी ओर खतरनाक भी कम नहीं । धोखे में आ जाँय तो अनन्त दुखों में ढकेलते भी यह देर नहीं करता । ऐसी स्थिति में नीर-क्षीर विवेको बन कर ही हम इसे सार्थक बना सकते हैं । प्रस्तुत पुस्तिका में नवीनता कुछ भी नहीं है । मूर्ति के उपयोग से सरलता पूर्वक मन को, परम पुरुषो के चरणचिह्नो का अनुगामी बनने के लिए, कैसे प्रेरित और प्रभावित किया जा सकता है, इसी सम्बन्ध में गुरुजनो द्वारा व्यक्त उपदेशों का यह आकलन मात्र है । साथ ही ऐसे उपयोग को तथ्य शून्य, निर्वल, अनुचित या हिंसा पूर्ण बतलाने वाले मत-मतान्तरो को मात्र सत्य के सरक्षण में आलोचना अवश्य है, किन्तु है सप्रमाण एव युक्ति युक्त | साधारण पाठक भी इसमें अवगाहन कर सत्यासत्य का निर्णय करने में समर्थ हो सकता है । यो तो तेरापंथी भाई, जो स्थानकवासी भाइयो के ही कटे-छंटे, निखरे हुए नवीन रूप हैं, इस तरह की गलत मान्यता फैलाने में कम जिम्मेवार नहीं, पर वस्तुत समाज में यह मिथ्यात्व उत्पन्न करने का सम्पूर्ण श्रेय स्थानकवासी ( क )
SR No.010055
Book TitlePooja ka Uttam Adarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPanmal Kothari
PublisherSumermal Kothari
Publication Year
Total Pages135
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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