SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 47
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ "घर पर भावना से लाभ उपार्जन की जो वात कहता है उसे तो तेरा दिल ठीक से मजूर करता है ? गुणों की अनुमोदना मे तो लाभ मानता है ? घर पर लाभ उठाने का समर्थन तो करता है ?" वेचारा फैमा। मोचा-"कह दू, यह सब तुम जानो" फिर सोचा-"ऐसा कहना ठीक नहीं होगा। ये लोग हठी है। विवाद चान रखेंगे और मेरी 'नासमझी' की कमजोरी पहले ही प्रकट हो जायेगी। 'हाँ' या 'ना' कुछ नो मुझे कहना ही पडेगा। ___ "लाभ नही होता" ऐना कहने पर उसने थोडा विचार किया। ऐसा कहना उने नलिए उचित नहीं जंचा कि अभी-२ गुणो की अनुमोदना से लाभ उठाने का समर्थन खुद ही कर चुका था, और कुछ आप ही (पाठक वृन्द) के मुख ने मुनिराज के गुण ग्रामो को सुन कर ऐसा प्रभावित भी हो चुका था कि उसने यह दृढ निश्चय कर लिया कि 'लाभ नहीं होता',ऐसा तो वह कदापि नहीं कहेगा। 'लाभ ही होगा' ऐसा कहने के ऊपर भी उसने थोडा-सा विचार किया। सोचा-"लाम" कहूंगा तो उन 'लाभ' को तो में भी समझा नही सकूगा। यदि मुझमे पूछ लेगे-'गुणो की थोथी अनुमोदना से क्या लाभ होने की आशा है ? गुण तो आत्मा में उतर आवे, और सामनेवाला उतारदे, तव लाभ मिला' समझना चाहिए। वरना यह तो ढोग है, व्यर्थ है, इत्यादि-२" तो क्या उत्तर दूगा? विचारो के द्वन्द में उसके मुख से निकला "लाभ ही होगा" भाग्य मे मतभेद न होने के कारण उस 'लाभ' के सम्बन्ध मे उससे कोई प्रश्न नहीं किया गया जैसी उसके मन मे आशका थी, इसलिए मन-ही-मन उसने समझा 'झझट टला'। पाठकवृन्द | आप उससे 'लाभ' ही मजूर कराना चाहते थे। आप कहेगे'मुनि महाराज जब ध्यान में लीन थे, तव वहां जाकर, उनके गुणो को याद करके, उनको नमस्कार करने के सिवाय, हमने कुछ भी नही किया। मुनि महाराज ने भी हमारी इसमें कुछ सहायता नही की। ऐसा नमस्कार, उन गुणो को याद करके हम घर पर भी कर सकते थे'-ये सव बातें ठीक है और यह भी ठीक है कि लाभ दोनो ही जगह होता। वात इतनी ही है कि अब 'लाभ' 'लाभ' में कितना अन्तर है, उसे समझना है। लाभ पांच रुपये का भी होता है और पांच लाख ५३
SR No.010055
Book TitlePooja ka Uttam Adarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPanmal Kothari
PublisherSumermal Kothari
Publication Year
Total Pages135
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy