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• जैनसम्प्रदायशिक्षा ॥ “११४ हे पूछने वाले । यह पासा बहुत कल्याणकारी है, कुल की वृद्धि होगी, जमीन का लाभ होगा, धन का लाम होगा, पुत्र का भी लाम दीखता है और प्यारे मित्र का दर्शन होगा, किसी से सम्बंध होगा तथा तीन महीने के भीतर विचारे हुए काम का लाम होगा, गुरु की भक्ति और कुलदेवी का पूजन कर, इस बात की सत्यता का प्रमाण यह है कि तेरे शरीर के ऊपर दोनों तरफ मसा; तिल वा घाव का चिह है।
१२१-हे पूछने वाले! तूने ठिकाने का लाभ तथा सज्जन की मुलाकात विचारी है, धातुः धन सम्पत्ति और भाई बन्धु की वृद्धि तथा पहिले जैसे सम्मान का मिलना विचारा है, यह सव वात निर्विन (विना किसी विघ्न के ) तेरे लिये सुखदायी होगी, इस का निश्चय तुझे इस प्रकार हो सकता है कि-तू खम में अपने बड़े लोगों को देखेगा।
१२२-हे पूछने वाले ! तुझे वित्त (धन ) और यश का लाभ होगा, ठिकाना और सम्मान मिलेगा तथा तेरी मनोऽभीष्ट ( मनचाही ) वस्तु मिलेगी, इस में शङ्का मत कर, अब तेरा पाप और दुःख क्षीण हो गया, इस लिये तुझे कल्याण की प्राप्ति होगी, इस का पुरावा यह है कि-तू रात को खम में अथवा प्रत्यक्ष में लड़ाई का करना देखेगा।
१२३-हे पूछने वाले! तेरे कार्य और धन की सिद्धि होगी, तेरे विचारे हुए सब मामले सिद्ध होंगे, कुटुम्ब की वृद्धि, सी का लाभ तथा खजन की मुलाकात होगी, तेरे मन में जो बहुत दिनों से विचार है वह अब जल्दी पूर्ण होगा, इस बात का यह पुरावा है कि-तेरे घर में लड़ाई तथा स्त्रीसम्बंधी चिन्ता आज से पाँचवें दिन के भीतर हुई होगी।
१२४-हे पूछने वाले! तेरी भाइयों से जल्दी मुलाकात होगी, तेरा सुकृत अच्छा है, ग्रह का बल भी अच्छा है, इस लिये तेरे सब काम हो जायेंगे, तू अपनी कुलदेवी का पूजन कर।
१३१-हे पूछने वाले। तुझे ठिकाने का लाभ, धन का लाभ तथा चित्त में चैन होगा, जो कुछ काम तेरा बिगड़ गया है वह भी सुधर जावेगा तथा जो कुछ चीज़ चोरी में गई है वह भी मिल जावेगी, इस बात का यह पुरावा है कि-तू ने खाम में वृक्ष को देखा है अथवा देखेगा।
१३२-हे पूछने वाले! जो काम तू ने विचारा है वह सब हो जावेगा, इस बात का यह पुरावा है कि तेरी स्त्री के साथ तेरी बहुत प्रीति है।
१३३-हे पूछने वाले! इस शकुन से तेरे धन के नाश का तथा शरीर में रोग होने का सम्भव है तथा तेरे किसी प्रकार का बन्धन है, जान के घोखे का खतरा है, तू ने भारी काम विचारा है वह बड़ी तकलीफ से पूरा होगा।
१३४-हे पूछने वाले! तुझे राजकाज की तरफ की वा सर्कार की तरफ की अथवा सोना चाँदी की और परदेश की चिन्ता है, तू किसी दुशमन से जीतना चाहता है, यह