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पुण्य
मूल
श्रवण
रेवती
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जैनसम्प्रदायशिक्षा ॥ चोरी गई अथवा खोई हुई वस्तु की प्राप्ति वा अप्राप्ति का वर्णन ॥ पूर्व दिशा में दक्षिण दिशा में पश्चिम दिशा में उत्तर दिशा में
शीघ्र मिलेगी तीन दिन में मिलेगी एक मास में मिलेगी नहीं मिलेगी रोहिणी मृगशीर्ष आद्री
पुनर्वसु আগুন मघा
पूर्वाफाल्गुनी उत्तरा फाल्गुनी
चित्रा
खाति विशाखा अनुराधा
ज्येष्ठा पूर्वाषाढा उत्तराषाढा अभिजित् धनिष्ठा शतभिषा पूर्वाभाद्रपद उत्तराभाद्रपद अश्विनी भरणी
कृत्तिका विज्ञान-ऊपर के कोष्ठ से यह समझना चाहिये कि-जिस दिन वस्तु खोई गई ... हो अथवा चुराई गई हो ( वह दिन यदि मालूम हो तो) उस दिन का नक्षत्र देखना चाहिये, यदि रोहिणी नक्षत्र हो तो ऊपर लिखे अनुसार समझ लेना चाहिये कि वह वस्तु पूर्व दिशा में गई है तथा वह शीघ्र ही मिलेगी, यदि वह दिन मालूम न हो तो जिस दिन अपने को उस वस्तु का चोरी जाना वा खोया जाना मालम हो उस दिन का नक्षत्र देख कर ऊपर लिखे अनुसार निर्णय करना चाहिये, यदि उस दिन मृगशीर्ष नक्षत्र हो तो जान लेना चाहिये कि वस्तु दक्षिण दिशा में गई है तथा वह तीन दिन में मिलेगी, यदि उस दिन आर्द्रा नक्षत्र हो तो जानना चाहिये कि वह वस्तु पश्चिम दिशा में गई है तथा एक महीने में मिलेगी और यदि उस दिन पुनर्वसु नक्षत्र हो तो जान लेना चाहिये कि वह वस्तु उत्तर दिशा में गई है तथा वह नहीं मिलेगी, इसी प्रकार कोष्ठ में लिखे हुए सब नक्षत्रों के अनुसार वस्तु के विषय में निश्चय कर लेना चाहिये ॥
नाम रखने के नक्षत्रों का वर्णन ॥ संख्या नाम नक्षत्र अक्षर
संख्या नाम नक्षत्र अक्षर १ अश्विनी चू, चे, चो, ला, ७ पुनर्वसु के, को, हा, ही, २ भरणी ली, ल, ले, लो
८ पुष्य हू, हे, हो, डा, ३ कृत्तिका भ, ई, ऊ, ए,
९ आश्लेषा डी, डु, डे, डो, ४ रोहिणी ओ, बा, बी, बू, १० मघा म, मी, मू, मे, . ५ मृगशिर बे, बो, का, की, ११ पूर्वाफाल्गुनी मो, टा, टी, इ, ६ आर्द्रा कू, घ, ड, छ,
१२ उत्तराफाल्गुनी टे, टो, प, पी,