SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 271
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ បង जैनसम्प्रदायशिक्षा, आगे चल कर हम ज्योतिष् की कुछ आवश्यक बातों को लिखेंगे उन में सूर्य श्री उदय और अन्त तथा लय को स्पष्ट जानने की रीति, ये दो विषय मुख्यतया गृहलो के लाम के लिये लिखे जावगे, क्योंकि गृहस लोग पुत्रादि के जन्मसमय में साधारण (कुछ पढ़े हुए) ज्योतिषियों के द्वारा जन्मसमय को बतला कर जन्मकुंडली बनवाद हैं, इसके पीछे अन्य देश के वा उसी देश के किसी विद्वान् ज्योतिषी से जन्मपत्री बनवाते हैं, इस दशा में प्रायः यह देखा जाता है कि बहुत से लोगों की जन्मपत्री शुभाशुभ फल नहीं मिलता है तब वे लोग जन्मपत्री के बनाने वाले विद्वान् को त्या ज्योतिष विद्या को दोष देते हैं अर्थात् इस विद्या को असत्य (झूठा) बतलाते है, परन्तु विचार कर देखा जाये तो इस विषय में न तो जन्मपत्र के बनाने वाले विद्वान् का दोष है और न ज्योति विद्या का ही दोष है किन्तु दोष केवल जन्मसमय में ठीक लम न लेन का है, तापर्य यह है कि यदि जन्मसमय में ठीक रीति से लम ले लिया जावे तथा उसी के अनुसार जन्मपत्री बनाई जावे तो उस का शुभाशुम फल अवश्य मिल सकता है, इस में कोई भी सन्देह नहीं है, परन्तु शोक का विषय तो यह है किनाममात्र के ज्योतिषी लोग लन बनाने की क्रिया को भी तो ठीक रीति से नहीं जानते हैं फिर उन की बनाई हुई जन्नकुण्डली (देवे) से शुभाशुभ फल कैसे विदित हो सकता है, इस लिये हम लम के वनाने की क्रिया का वर्णन अति सरल रीति से करेंगे । सोलह तिथियों के नाम ॥ संख्या संस्कृत नाम हिन्दी नाम संख्या संस्कृत नाम हिन्दी नाम १ प्रतिपद् पड़िवा ९ नवमी नौमी २ द्वितीया द्वैज १० दशमी दशवी ३ तृतीया तीज ११ एकादशी ग्यारस चतुर्थी १२ द्वादशी वारस ५ पञ्चमी . पाँचम १३ त्रयोदशी तेरस ६ षष्ठी छठ १४ चतुर्दशी चौदस ७ सप्तमी सातम १५ पूर्णिमा वा पूर्ण- पूनम वा पूरनमासी मासी ८ अष्टमी आठम १६ अमावास्या अमावस सूचना-कृष्ण पक्ष (वदि) में पन्द्रहवीं तिथि अमावास्या कहलाती है तथा शुक्ल पक्ष (सुदि) में पन्द्रहवीं तिथि पूर्णिमा वा पूर्णमासी कहलाती है ।।
SR No.010052
Book TitleJain Sampradaya Shiksha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy