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________________ ३६ जैन साहित्य और इतिहासपर विशद प्रकाश वह समीचीन मालूम नहीं होती, और इसलिये मान्य किये जानेके योग्य नहीं । उसके अनुसार वीरनिर्वाणसे ४८८ वर्ष बाद विक्रमसम्वत्का प्रचलित होना माननेसे विक्रम और शक सम्वतोंके बीच जो १३५ वर्षका प्रसिद्ध अन्तर है वह भी बिगड़ जाता है—सदोष ठहरता है- प्रथवा शककाल पर भी आपति लाज़िमी आती है जो हमारा इस कालगरगनाका मूलाधार है, जिस पर कोई आपत्ति नहीं की गई और न यह सिद्ध किया गया कि शकराजाने भी वीरनिर्वाणसे ६०५ वर्ष ५ महीनेके बाद जन्म लेकर १८ वर्षकी अवस्थामें राज्याfresh समय अपना सम्वत् प्रचलित किया है। प्रत्युत इसके, यह बात ऊपरके प्रमाणोंसे भले प्रकार सिद्ध है कि यह समय शकसम्वत्की प्रवृत्तिका समय हैचाहे वह सम्वत् शकराजाके राज्यकालकी समाप्ति पर प्रवृत्त हुआ हो या राज्यारम्भके समय --शकके शरीरजन्मका समय नहीं है । साथ ही, श्वेताम्बर भाइयोंने जो वीरनिर्वाणसे ४७० वर्ष बाद विक्रमका राज्याभिषेक माना है और जिसकी वजहसे प्रचलित वीरनिर्वाणसम्वत् में १८ वर्षके बढ़ानेकी भी कोई ज़रूरत नही रहती उसे क्यों ठीक न मान लिया जाय, इसका कोई समाधान नहीं होता । इसके सिवाय, जार्नचार्पेटियरकी यह प्रपत्ति बराबर बनी ही रहती है कि वीरनिर्वाणसे ४७० वर्षके बाद जिस विक्रमराजाका होना बतलाया जाता है उसका इतिहास में कही भी कोई अस्तित्व नहीं है । परन्तु विक्रम संवत् को विक्रमकी मृत्युका सम्वत् मान लेने पर यह प्रापत्ति कायम नहीं रहती; क्योंकि जार्लचार्पेटियरने वीरनिर्वाण ४१० वर्षके बाद विक्रमराजाका + यथा - विक्कुमरजारम्भा प ( पु ? ) र मिरिवीरनिव्वुई भरिया । सुन- मुरिण वेय-जुत्तो विक्कमकालाउ जिणुकालो । - विचारश्रेणि 8 इस पर बैरिष्टर के. पी. जायसवालने जो यह कल्पना की है कि सातकरिंग द्वितीयका पुत्र 'पुलमायि' ही जैनियोंका विक्रम है- जैनियोंने उसके दूसरे नाम 'विलवय' को लेकर और यह समझकर कि इसमें 'क्र' को 'ल' हो गया है उसे 'विक्रम' बना डाला है -- वह कोरी कल्पना ही कल्पना जान पड़ती है । कहीं भी इसका समर्थन नहीं होता। ( वैरिष्टर सा० की इस कल्पनाके लिये देखो, जैनसाहित्यसंशोधक के प्रथम खंडका चौथा अंक ) ।
SR No.010050
Book TitleJain Sahitya aur Itihas par Vishad Prakash 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Shasan Sangh Calcutta
Publication Year1956
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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