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________________ भ० महावीर और उनका समय ११ प्राप्त करके आप सदा के लिये अजर, अमर तथा अक्षय सौख्यको प्राप्त हो गये# | इसीका नाम विदेहमुक्ति, प्रात्यन्तिक- स्वात्मस्थिति, परिपूर्णसिद्धावस्था अथवा निष्कल - परमात्मपदकी प्राप्ति है । भगवान् महावीर प्रायः ७२ वर्षकी अवस्था f में अपने इस अन्तिम ध्येयको प्राप्त करके लोकाग्रवासी हुए । और आज उन्हींका तीर्थ प्रवर्त रहा है । इस प्रकार भगवान् महावीरका यह संक्षेपमें सामान्य परिचय है, जिसमें प्रायः किसीको भी कोई खास विवाद नही है । भगवज्जीवनीकी उभय सम्प्रदायसम्बन्धी कुछ विवादग्रस्त अथवा मतभेदवाली बातोंको मैंने पहलेसे ही छोड़ दिया है । उनके लिये इस छोटेसे निबन्धमें स्थान भी कहाँ हो सकता है ? वे तो गहरे जाता है । और इसलिये अमावस्याको निर्वारण बतलाना बहुत युक्तियुक्त है, Her श्री पूज्यपादाचार्यने "कार्तिककृष्णस्यान्ते" पदके द्वारा उल्लेख किया है । * जैसा कि श्री पूज्यपादके निम्न वाक्यसे भी प्रकट है:“पद्मवनदीर्घिका कुलविविधद्रुमखण्डमण्डिते रम्ये । पावानगरोद्याने व्युत्सर्गेण स्थितः स मुनिः ॥ १६ ॥ कार्तिक कृष्णस्यान्ते स्वातावृक्षे निहत्य कर्मरजः । अवशेषं संत्रापद् व्यजरामरमक्षयं सौख्यम् ॥ १७॥” – निर्वारणभक्ति । + धवल और जयधवल नामके सिद्धान्त ग्रन्थोंमें महावीरकी आयु, कुछ प्राचार्यों के मतानुसार, ७१ वर्ष ३ महीने २५ दिनकी भी बतलाई है और उसका लेखा इस प्रकार दिया है. गर्भकाल = मास ८ दिन कुमारकाल = २८ वर्ष ७ मास १२ दिन; छद्मस्थ ( तपश्चरण )काल = १२ वर्ष ५ मास १५ दिन) केवल (विहार) काल : २६ वर्ष ५ मास २० दिन । इस लेखेके कुमारकालमें एक वर्षकी कमी जान पड़ती है; क्योंकि वह आम तौर पर प्रायः ३० वर्षका माना जाता है । दूसरे, इस प्रयुमेंसे यदि गर्भकालको निकाल दिया जाय, जिसका लोक व्यवहारमें ग्रहण नहीं होता तो वह ७० वर्ष कुछ महीनेकी ही रह जाती है और इतनी आयुके लिये ७२ वर्षका व्यवहार नहीं बनता ।
SR No.010050
Book TitleJain Sahitya aur Itihas par Vishad Prakash 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Shasan Sangh Calcutta
Publication Year1956
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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