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________________ १७० जैनसाहित्य और इतिहासपर विशद प्रकाश दूसरे विद्वानोंको लक्ष्य करके कहा गया है और उसमें राजासे यह पूछा गया है कि धूर्जटि जैसे विद्वानकी ऐसी हालत होने पर अब आपकी सभाके दूसरे विद्वानों की क्या आस्था है ? क्या उनमेंसे कोई वाद करनेकी हिम्मत रखता है ? दूसरी हालत में, यह पद्य समन्तभद्रके वादारंभ-समयका वचन मालूम होता है और उसमें धूर्जटिकी स्पष्ट तथा गुरुतर पराजयका उल्लेख करके दूसरे विद्वानोंको यह चेतावनी दी गई है कि वे बहुत सोच-समझकर वादमें प्रवृत्त हों । शिलालेखमें इस 'पद्यको समन्तभद्रके वादारंभ-समारंभ समयकी उक्तियोंमें ही शामिल किया है । परन्तु यह पद्य चाहे जिस राजसभामें कहा गया हो, इसमे संदेह नहीं कि इसमें जिस घटनाका उल्लेख किया गया है वह बहुत ही महत्त्वकी जान पड़ती है । ऐमा मालूम होता है कि धूर्जटि + उस वक्त एक बहुत ही बढ़ाचढ़ा प्रसिद्ध प्रतिवादी था, जनतामें उसकी बड़ी धाक थी और वह समन्तभद्रके सामने बुरी तरहसे पराजित हुअा था। ऐसे महावादीको लीलामात्रमें परास्त कर दनमे समन्तभद्रका सिक्का दूसरे विद्वानों पर और भी ज्यादा अकित हो गया और तबसे यह एक कहावतसी प्रसिद्ध हो गई कि 'धूर्जटि जैसे विद्वान् ही जब ममन्तभद्रके मामने वादमे नही ठहर सकते तब दूसरे विद्वानोंकी क्या मामर्थ्य है जो उनमे वाद करें।' समन्तभद्रकी वादशक्ति कितनी अप्रतिहत थी और दूसरे विद्वानोंपर उसका कितना अधिक सिक्का तथा प्रभाव था, यह बात ऊपर के अवतरणाम बहुत कुछ स्पष्ट हो जाती है, फिर भी मैं यहां पर इतना और बनला देना चाहता है कि समन्तभद्रका वाद-क्षेत्र संकुचित नही था । उन्होंने उसी देशमं अपने वादकी विजयदुन्दुभि नहीं बजाई जिसमें वे उत्पन्न हा थे, बल्कि उनकी वादप्रीति,लोगोंके अज्ञानभावको दूर करके उन्हें सन्मार्गको और लगानेकी शुभ भावना और * जैसा कि उन उक्तिोंके पहले दिये हुए निम्न वाक्यमे प्रकट है"यस्यैवंविधा विद्यावादारंभसंरंभविभिताभिव्यक्तयः सूक्तयः ।" प्राफरेडके 'केटेलॉग' में धूटिको एक 'कवि' Poet लिखा है और कवि अच्छे विद्वानको कहते हैं, जैसा कि इससे पहले फुटनोटमें दिये हुए उसके लक्षणों. से मालूम होगा।
SR No.010050
Book TitleJain Sahitya aur Itihas par Vishad Prakash 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Shasan Sangh Calcutta
Publication Year1956
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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