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________________ ( २०५ ) श्री महावीर स्वामी की अतिशय रूप मूर्ति है मन्दिर हैं । २. रेसंदीगिरि या नैनागिरि – सागर से ३० मील, दलपतपुर से ८ मील। यहां से वरदत्तादि मुनि मोक्ष गये हैं । पर्वत पर २५ मन्दिर है । ३. द्रोणगिरि - ग्राम संदधा सागर से ६६ मील | यहाँ से गुरुदत्तादि मुनि मोक्ष पधारे हैं । २५ जैनमंदिर हैं । ४. मुक्तागिरि - पत्तिचपुर स्टेशन से १२ मील । यहाँ ३॥ करोड़ मुनि मुक्ति गये हैं। पर्वत पर बहुत मन्दिर हैं । बहुत से ५. गमटेक नागपुर से २४ मील, रामटेक स्टेशन से ३ मील । यहाँ शान्तिनाथ जी की अतिशयरूप मूर्ति है। ६. भातकुली - अमरावती से १० मील । यहाँ भी मनोश ऋषभदेव की मूर्ति चौथे काल की है। ७. अन्तरीक्षपार्श्वनाथ अकोला से १६ कोस । यहां श्री पार्श्वनाथ की मूर्ति सिरपुर ग्राम में श्रतिशयरूप है । ८. मकसीपार्श्वनाथ - ज़िला उज्जैन मकसोस्टेशन से थोडी दूर। यहां चौथे काल की पार्श्वनाथ जी की मूर्ति है । (५) बम्बई प्रान्त - १. तारङ्गा-तारङ्गा हिल स्टेशन से ३ मील । पर्वत पर से वरदत, सागरदत्त तथा ३ || करोड़ मुनि मुक्ति पधारे है । २. से जय - पालीताना स्टेशन पर्वत से श्री युधिष्ठिर, भीमसेन, अर्जुन, ये तीन पाण्डव व ८ करोड़ मुनि मुक्ति पधारे हैं।
SR No.010045
Book TitleJain Dharm Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherParishad Publishing House Bijnaur
Publication Year1929
Total Pages279
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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