SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 166
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १३८ ) इन २१ मूलगुणो के सिवाय सात बातें ये हैं : 1 (१) लोच - अपने मस्तक, दाढ़ी मूंछ के बालों को अपने ही हाथों से ४, ३ या कम से कम दो मास पीछे उखाड़ डालना। जिसके शरीर में ममता न होगी, वही घास के समान वालों को नोचते हुए कभी क्लेशित न होगा । (२) नग्नपन -- कोई तरह का वस्त्रादि का ढकना साधु महाराज नहीं रखते हैं। बालक के समान लज्जा के भाव से रहित होते हैं । (३) स्नान का त्याग --साधु महाराज जीवदया को पालने व शरीर की शोभा मिटाने को स्नान नहीं करते मन्त्र व वायु से ही उनके शरीर की शुद्धि होती है । (४) भूमिशयन - ज़मीन पर बिना बिछौने के सोते है । (५) दातौन न करना - जीव दया पालने व शोभा मिटाने के हेतु दंतवन नहीं करते । भोजन के समय मुँह शुद्ध कर लेते हैं। ( ६ ) स्थिति भोजन -- खड़े होकर हाथमें ही जो श्रावक अपने लिए बनाए हुये भोजन में से रख दे उसी को लेते हैं जिस से ममता न बढ़े व वैराग्य की वृद्धि हो । (७) एक भुक्त - दिन में ही एक दफ़ेभोजन पानी एक साथ लेते हैं । इन २८ मूल गुणों को पालते हुये जो श्रात्मध्यान का अभ्यास करते हैं वे साधु हैं । ये लघु पहले कहे हुए संवर व निर्जरा के उपायों को
SR No.010045
Book TitleJain Dharm Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherParishad Publishing House Bijnaur
Publication Year1929
Total Pages279
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy