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________________ गुण और धर्म . अर्थ सामान्यविशेषात्मक है स्वरूपास्तित्व और सन्तान सन्तानका खोखलापन 'उच्छेदात्मक निर्वाण अप्रा तीतिक है छह द्रव्य जीवद्रव्य व्यापक आत्मवाद अणु आत्मवाद भूतचैतन्यवाद इच्छा आदि आत्मधर्म हैं कर्त्ता और भोक्ता गावात-पित्तादिधर्म नहीं पुद्गलद्रव्य स्कन्धों के भेद विषयानुक्रम ५. पदार्थका स्वरूप १०१ दो सामान्य १०२ १०३ दो विशेष १०४ सामान्यविशेषात्मक अर्थात् ६. स्कन्ध आदि चार भेद बन्धकी प्रक्रिया Jain Educationa International १०५ द्रव्यपर्यायात्मक षटद्रव्य विवेचन बिचार वातावरण बनाते हैं, जैसी करनी वैसी भरनी नूतन शरीरधारणकी प्रक्रिया सृष्टिचक्र स्वयं चालित है १२० जीवोंके भेद : संसारी और मुक्त १२१ १२३ १०९ प्रकाश व गरमी शक्तियाँ नहीं १०९ परमाणुकी गतिशीलता ११० धर्मद्रव्य और अधर्मद्रव्य आकाशद्रव्य दिशा स्वतन्त्र द्रव्य नहीं शब्द आकाशका गुण नहीं आकाश प्रकृतिका विकार नहीं बौद्धपरम्परामें आकाशका स्वरूप ११० १११ ११२ ११४ ११५ १२४ १२५ १२५ शब्द आदि पुद्गलकी पर्यायें हैं १२६ १२६ शब्द शक्तिरूप नहीं है पुद्गल के खेल १२७ १२८ छाया पुद्गलकी पर्याय है एक ही पुद्गल मौलिक है पृथिवी आदि स्वतन्त्र द्रव्य नहीं १२८ १२९ ११५ ११६ ११८ ३५ कार्योत्पत्ति- विचार सांख्यका सत्कार्यवाद नैयायिकका असत्कार्यवाद बौद्धोंका असत्कार्यवाद जैनदर्शनका सदसत्कार्यवाद धर्मकीर्तिके आक्षेपका समाधान १०६ १२९ . १३० १३१ १३२ १३३ १३३ १३३ १३५ कालद्रव्य १३५ वैशेषिक की मान्यता १३६ बोद्धपरम्परा में काल १३६ वैशेषिककी द्रव्यमान्यताका विचार १३७ १३७ १४२ For Personal and Private Use Only १०६ १०७ गुण आदि स्वतन्त्र पदार्थ नहीं अवयवीका स्वरूप गुण आदि द्रव्यरूप ही हैं १४४ रूपादि गुण प्रातिभासिक नहीं हैं १४५ १४६ १४६ १४७ १४७ १४७ १४८ www.jainelibrary.org
SR No.010044
Book TitleJain Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages174
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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