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________________ ( ११ ) परिषद के उत्साही और प्रसिद्ध कार्यकर्ता ला० तनसुखरायजी जैन, जो कि तिलक बीमा कपनी देहलीके मैनेजिंग डायरेक्टर है, वह इसी खानदान में से है । आप जैन समाजके निर्भीक और ठोस कार्य करनेवाले कर्मठ युवक ३ । अभी हाल में आपने जैन युवकों की बेकारीको देखकर दस्तकारीकी शिक्षा प्राप्त करनेवाले १० छात्रोंको १ वर्षतक भोजनादि निर्वाह खर्च देन की सूचना प्रकाशित की थी, जिसके मूलस्वरूप कितने हो युवक छात्र देहला में आपके द्वारा उक्त शिक्षा प्राप्त कर रहे है । जैन समाजको आपसे बडी २ आशायें हे, और समय आनेपर वे पूण भी अवश्य होंगी । इनके अतिरिक्त ला० मानसिहजी ला० प्रभूदयालजी ला० अमीर सिहजी ला० गणपतिरायजी, ला० टेकचदजी आदि इसी खान्दानक धर्मप्रेमी व्यक्ति है । इनका अपने खान्दानका पीथवाडा में एक विशाल दि० जैन मंदिरजो भी है, जोकि अपन हो व्यय से बनाया गया है । इस खान्दानमें शिक्षा की तरफ विशेष रुचि है जिसके फलस्वरूप कई ग्रेजुएट और वकील है । ला०ज्वालाप्रसादजी के पिता चार भाई थे। १-ला० कुइनलालजी, २ - का० अमनसिंहजी, ३-ला० केदारनाथजी, ४ - ला० सरदारसिहजी | जिनमे ला ० कुन्दनलालजीके सुपुत्र ला० मानसिंहजा, ला० अमन सिंहजी के सुपुत्र ला ० मनफूलसिंहजी व का० वीरमान सिंहजी है । ला० केदारनाथजी के सुपुत्र ला ० ज्वालाप्रसादजी तथा ला० घासीरामजी और ला० सरदारसिहजी के सुपुत्र ला० स्वरूपसिंहजी, का० जगतसिंहजा और गुलाबसिंहजी हैं। जिनमें से का०
SR No.010041
Book TitleJain Bauddh Tattvagyana Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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