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________________ ऐतिहासिक गीतिकाव्य L सामाजिक घटनाओसे अवगत होनेके लिए इन गीतोका अत्यधिक महत्त्व है । इसी कारण इनको केवल जैनोंकी सम्पत्ति न मानकर हिन्दी - साहित्यकी अमूल्य निधि मानना चाहिये । इन गीतोमे मुसलिम शासनके अन्याय और शोपणका विवरण भी उपस्थित किया गया है, परन्तु यह विवरण ऐतिहासिक तथ्य नही, प्रत्युत काव्यका तत्त्व है । कतिपय गीतोमें' ग्राम-बधुऍ पथिकोसे अनुरोध कर पूछती है कि आप जिस रास्तेसे आ रहे हैं, क्या आपको उस मार्ग में आचार्यश्री मिले ? इन सूरिजी की वाणीमे अमृत है, अनेक चमत्कारोके ज्ञाता और ये अपरिमित शक्तिके धारी है। इनके तेजका वर्णन कोई नही कर सकता है । ये परम अहिंसा धर्मके पुजारी है, शुद्ध आचार-विचारका पालन करते हैं, समस्त प्राणियो के साथ इनकी मित्रता है। जो एक बार इनका दर्शन कर लेता है, इनके मिष्ट वचनोको सुन लेता है, उसकी इनके प्रति अपार श्रद्धा हो जाती है । कचन और कामिनी, जिन्होने सारे जगतको अपने वश कर रखा है, इनके लिए तृणवत् है । हैं पथिक ! यदि तुम इनके आगमनका यथार्थं समाचार कह सको, तो तुम्हारी हमारे ऊपर बड़ी कृपा हो। हमारा मन - मयूर उनके आगमन के समाचारको सुन कर ही हर्षित हो जायगा | हमारे हृदयकी वीणाके तारोपर सुरीले स्वरोका आरोहणअवरोहण स्वतः होने लगेगा । इस प्रकार अपनी भावनाको व्यक्त करती हुई ग्राम बधुएँ उन सूरीश्वरका ऐतिहासिक परिचय भी देती हैं, जिससे उनके आगमन की सच्ची जानकारी प्राप्त कर सकें। इस ऐतिहासिक परिचयमै सन्, सवत् और तिथिका उल्लेख तो है ही, साथ ही उन सूरीश्वरके गण, गच्छ, गोत्र, गुरु और प्रभावका भी ऐतिहासिक तथ्य निरूपित है । गुरु दर्शन हो जानेपर अपूर्व आनन्दानुभूति होती है। जैन कवियोंने ऐतिहासिक गीतो में सरसताको पर्याप्त स्थान देनेके लिए ऐसे अनेक गीतोंकी रचना की है, जिनमे अपूर्व आत्म-परितोष व्यक्त किया गया है । निम्न
SR No.010038
Book TitleHindi Jain Sahitya Parishilan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1956
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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