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________________ ५४ ] आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व स्पष्टवादिता उनके रक्त का स्वभाव था। परिश्रम करना ही उनका प्रमुख व्यसन था।"१ इन्हीं विशेषताओं से भरा-पूरा द्विवेदीजी का व्यक्तित्व ही हिन्दी-भाषा और साहित्य को एक नया मोड़ देनेवाला तथा आचार्य-परम्परा का सूत्रपातकर्ता हो सकता था। निश्चय ही, द्विवेदीजी के विशाल एवं महान् व्यक्तित्व का समुचित प्रभाव उनके निजी एवं तत्कालीन साहित्य पर पड़ा। श्रीकृष्णाचार्य ने ठीक ही लिखा है : “यह सम्भवतः सर्वमान्य सत्य है कि महावीरप्रसाद द्विवेदी की कृतियों से बढ़कर उनका व्यक्तित्व है। निस्सन्देह, कृतित्व और व्यक्तित्व की सम्पूर्णता विरल होती है । इटालियन कलाकार माइकेलेजलो, इंगलिश दार्शनिक फ्रांसिस बेकन,जर्मन कवि गेटे,फ्रेंच वाल्टेयर और रूसी ताल्सताय ऐसे व्यक्तित्व थे, जिनका जीवन साधारण था और कृतियाँ प्रतिभा-किरण से पूरित । इनकी जीवनी की थाह लगती है, न कि कृतियों की । और, ऐसे भी लोग हैं, जैसे कोपाटकिन, गान्धी, जवाहरलाल नेहरू, इनको समझकर भी हठात् मुह से यह निकलपड़ता है-ऐसे भी मनुष्य इस संसार में हुए थे,जो हमलोगों की तरह ही थे,किन्तु अपने जीवन-क्रम में कितने विशिष्ट, कितने विश्वासनिष्ठ । द्विवेदीजी का व्यक्तित्व कुछ ऐसे ही तत्त्वों से बना था।२ अतएव, आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी के व्यक्तित्व एवं चरित्न की विशिष्टताओं को उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के विशेष सन्दर्भ में रखकर महत्त्व देना ही होगा। इस दृष्टि से अनुशीलन करने पर द्विवेदीजी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की महानता और भी अधिक खुलकर सामने आती है। वे प्रत्येक दृष्टि से हिन्दी के भीष्मपितामह प्रतीत होते हैं। १. डॉ० शंकरदयाल चौऋषि : 'द्विवेदी-युग की हिन्दी-गद्यशैलियों का अध्ययन', पृ०.१४६ । २. 'आचार्य द्विवेदी' : सं० निर्मल तालवार, पृ० ५६-५७ ।
SR No.010031
Book TitleAcharya Mahavir Prasad Dwivedi Vyaktitva Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShaivya Jha
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year1977
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size26 MB
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