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________________ जीवनवृत्त एवं व्यक्तित्व [ ४३ उदाहृत किये जा सकते हैं, जिनसे उनकी कोमलता और क्षमाशीलता प्रदर्शित होती है। डॉ० शंकरदयाल चौऋषि ने द्विवेदीजी की इन चारित्रिक विशेषताओं के सम्बन्ध में लिखा है : "वे गम्भीर तथा शान्त थे, किन्तु उदास और शुष्क नहीं। व्यस्तता तथा नियमितता के प्रति कठोर आग्रह ने जहाँ उन्हें गम्भीर तथा शान्त बना दिया था, वहीं जीवन के प्रति सरसता एवं तरलता ने उदासी और शुष्कता से उन्हें रहित कर दिया था। उनके कठोर अनुशासन, दृढ़ कार्यपरायणता तथा सतत तत्परता की लौहकाया में सहृदयता, दया तथा सेवाभाव की आत्मा पूर्णतः सुरक्षित थी। इस महादुर्धर्ष व्यक्तित्व के दुर्ग में उनके हृदय की कोमल वृत्तियाँ निश्चित ही स्वच्छन्दता और स्वतन्त्रता से पुष्पित तथा फलित होकर लहलहा उठी । वज्रादपि कठोरता तथा कुसुमादपि सुकुमारता इस महान युगनायक के व्यक्तित्व के साधारणतः दो रूप हैं ।"१ डॉ० रामसकल राय शर्मा ने भी लिखा है : "वे हृदय से कोमल, किन्तु कर्त्तव्य के प्रति जागरूक थे। उनकी दृढता को देखकर हम उन्हें नारियल के फल की उपमा दे सकते है, जिमकी कठोर जटा के भीतर हमें मीठी गिरी और स्वादिष्ट जल पीने को मिलता है।"२ (घ) भावुकता: द्विवेदीजी सरलता, सहानुभूति, करुणा और भावुकता के अवतार थे। वस्तुतः, वे बड़े सरल एवं भावुक थे । सामान्यतः, सन्तानहीनता और पत्नी-वियोग से लोगों का व्यवहार नीरस हो जाया करता है और उनके हृदय मे उदासीनता, कटुता एवं नैराश्य का वास हो जाता है। परन्तु, द्विवेदीजी ने विषपायी शिव को भाँति अपने जीवन के सभी अभावों को पी डाला था। इसी कारण उनके हृदय पर संगीत और रुदन का इतना अधिक प्रभाव पड़ता था कि कभी-कभी वे उसी में खो जाते थे। यह तन्मयता उनकी अतिशय भावुकता की देन थी। उनकी भावुकता के सम्बन्ध में इतना ही संकेत कर देना पर्याप्त होगा कि जब कभी वे ग्रामीण स्त्रियों के मुख से 'बिछुड़ गई जोड़ी, मोरे रामा....' आदि गीत सुनते थे, तब वे आत्मविभोर हो जाया करते थे। उन ग्रामीण कुलशीला गृहिणियों की तो बात ही अलग है, एक बार किसी उत्सव में नर्तकी वेश्या के मुंह से 'मो सम कौन कुटिल खल कामी' सुनकर वे उसी की भावुकता में डूब गये थे। अपनी इस भावुकता के कारण वे सभी परिचितों १. डॉ० शंकरदयाल चौऋषि : 'द्विवेदी-युग की हिन्दी-गद्यशैलियों का अध्ययन, पृ० १४६ । २. डॉ० रामसकल राय शर्मा : 'द्विवेदी-युग का हिन्दी-काव्य', पृ० ५० ।
SR No.010031
Book TitleAcharya Mahavir Prasad Dwivedi Vyaktitva Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShaivya Jha
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year1977
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size26 MB
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