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________________ २४० ] आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व इन दोनों रसीली पुस्तकों का अप्रकाशित रह जाना द्विवेदीजी की गरिमा के अनुकूल ही है । कम-से-कम 'सुहागरात' का अश्लीलत्व तो इतना बढ़ा-चढ़ा है कि उसे द्विवेदीजी जैसे गुरु-गम्भीर व्यक्ति की रचना मानने में ही सन्देह होता है। 'तरुणोपदेश' को अपने विषय की प्रथम हिन्दी-पुस्तक होने का श्रेय दिया जा सकता है । इससे पूर्व हिन्दी मे कामशास्त्र की इतनी विशद व्याख्या करनेवाली कोई पुस्तक नहीं लिखी गई है। परन्तु, यह पुस्तक अप्रकाशित रह गई। स्पष्ट है कि द्विवेदीजी की अनेक मौलिक-अनूदित, प्रकाशित अथवा अप्रकाशित रचनाएँ हिन्दी के भाण्डार को उपयोगी साहित्य से भरने की आकांक्षा से लिखी गई । आज उपयोगी साहित्य का लेखक साहित्यिक इतिहास मे चचित नही होता है, परन्तु हिन्दी-भाषा और साहित्य की उस विकासावस्था मे तो चिकित्सा, ज्योतिष, विज्ञान, राजनीति,अर्थशास्त्र, शिक्षाशास्त्र आदि उपयोगी साहित्यो को समृद्ध करनेवाला भी हिन्दी का साहित्यकार कहा जाता था। उसी युग की मूल भावना को ग्रहण कर द्विवेदीजी ने उपयोगी विषयों के साहित्य को अपनी प्रतिभा का दान दिया । अन्य रचनाएं: पत्रकारिता, निबन्ध, समीक्षा, कविता, कथा, नाटक, जीवनी और उपयोगी साहित्य जैसी विविध साहित्यिक विधाओं को अपनी लेखनी के स्पर्श से पल्लवित करने के साथ द्विवेदीजी ने कुछ अन्य रचनाएँ भी प्रस्तुत की, जिनकी गणना इन विधाओं की सीमा में सम्भव नहीं है। इस कोटि में इनके द्ववारा लिखी गई कई बालोपयोगी पाठ्य-पुस्तकों एवं स्कूल-रीडरों की चर्चा की जा सकती है। ऐसी कुल पुस्तकें इस प्रकार हैं: १. हिन्दी की पहली किताब २. लोअर प्राइमरी रीडर ३. अपर प्राइमरी रीडर ४. शिक्षासरोज ५. बालबोध या वर्णबोध ६. जिला कानपुर का भूगोल इन सभी स्कूली किताबों का प्रकाशन सन् १९११ ई० में हुआ था। इसी तरह, 'अवध के किसानों की बरबादी, (सन् १९११ ई०) सामयिक समस्या पर लिखी गई पुस्तक है। द्विवेदीजी के समय में कतिपय साहित्यिक झगड़े भी चल रहे थे। विशेष रूप से उनका नागरी-प्रचारिणी सभा के साथ चल रहा विवाद उन दिनों -बड़ा उग्र हो गया था। इसी विवाद की मनोभूमिका में अपने ब्राह्मणजन्य सहज क्रोधी स्वभाव को उन्होने एक पुस्तक लिखकर अभिव्यक्त किया। 'कौटिल्य-कुठार' नामक
SR No.010031
Book TitleAcharya Mahavir Prasad Dwivedi Vyaktitva Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShaivya Jha
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year1977
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size26 MB
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