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________________ -२३६ ] आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व द्विवेदीजी ने नारायणभट्ट के संस्कृत-नाटक 'वेणीसंहार' का अनुवाद प्रस्तुत किया था। परन्तु, दुर्भाग्यवश सन् १९१३ ई० में प्रकाशित यह अनुवाद मूल नाटक का नाट्य-रूपान्तर न होकर आख्यायिका के रूप में लिखा गया भावार्थबोधक गद्यानुवाद है। यदि इसे नाटक के रूप में अनूदित किया गया होता, तो द्विवेदीजी की नाट्य-प्रतिभा का परिचय इससे मिलता। परन्तु, संस्कृत-नाटक का कथात्मक अनुवाद प्रस्तुत करके द्विवेदीजी ने स्पष्ट कर दिया है कि नाटकों की रचना में तनिक भी रुचि नही । नेता की उदासीनता के कारण उनके अनुसरणकर्ता साहित्यकारों ने भी नाटकों की रचना को विशेष महत्त्व नहीं दिया। जीवनी: __आचार्य द्विवेदीजी के विशाल निबन्ध-साहित्य की चर्चा के प्रसंग में उनके जीवनीपरक निबन्धों की भी व्याख्या होती रही है। परन्तु, साहित्य की वर्तमान उन्नतावस्था में जीवनी-साहित्य ने निबन्ध-विधा से अपना रिश्ता तोड़ लिया है और - अब जीवनी-सम्बन्धी साहित्य ने एक स्वतन्त्र गद्यविधा का बाना धारण कर लिया है। इस नये परिवेश में हम द्विवेदीजी द्वारा लिखित उन सभी निबन्धो की गणना जीवनीसाहित्य की सीमा मे कर सकते हैं, जिनमें किसी-न-किसी की जीवनी प्रस्तुत की गई है। उन्होंने बहुत बड़ी संख्या में जीवनियों की रचना की है। जीवनियों को लिखने की आवश्यकता का निर्देश उन्होंने पं० दुर्गाप्रसादजी का जीवन-चरित लिखते समय किया है : "दुर्गाप्रसादजी के चरित्र से स्पष्ट है कि एक सामान्य मनुष्य भी यदि वैसी ही - सच्चरित्रता और लगन से काम करे-सदाचरण और सद्विद्या के बल से सर्वसाधारण की तो कोई बात नहीं, बड़े-बड़े राजा-महाराओं का भी सम्मान प्राप्त कर सकता है और अपनी कोत्ति-कौमुदी से देश-देशान्तरों को धवलित भी कर सकता है।"१ इसी · को सामने रखकर द्विवेदीजी ने अपनी दृष्टि में महान् एवं उच्च चरित्रवाले महापुरुषों एवं नारियों की जीवनियां लिखीं। 'सरस्वती' में ऐसी जीवनियों की बहुत बड़ी संख्या में अवस्थिति मिलती है। इन जीवनियों के कई पुस्तकाकार संकलन भी बाद में प्रकाशित हुए हैं । यथा : १. प्राचीन पण्डित और कवि (सन् १९१८ ई०) २. सुकवि-संकीर्तन (सन् १९२४ ई.) ३. कोविद-कीर्तन (सन् १९२४ ई०) ४. विदेशी विद्वान् (सन् १९२७ ई०) ५. चरित्र-चर्या (सन् १९३० ई०). ६. चरित्र-चित्रण (सन् १९३४ ई०) १. 'सरस्वती', मई १९०३ ई०पृ०.१६० ।
SR No.010031
Book TitleAcharya Mahavir Prasad Dwivedi Vyaktitva Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShaivya Jha
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year1977
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size26 MB
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