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________________ कविता एवं इतर साहित्य [ २१३ इस अवधि के बाद पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित अथवा पुस्तकाकार संकलित उनकी कविताएँ खड़ी बोली में लिखित होने लगीं। उनकी खड़ी बोली की एक प्रतिनिधि कविता 'हे कविते' की कतिपय पंक्तियाँ उदाहरणार्थ द्रष्टव्य हैं : सुरम्यरूपे रसराशिरंजिते विचित्रवर्णाभरणे कहाँ गई ? अलौकिकानन्दविधायिनी महा, कवीन्द्रकान्ते ! कविते ! अहो कहाँ ? कहाँ मनोहारि मनोज्ञता गई, कहाँ छटा क्षीण हुई नई-नई ? कहीं न तेरी कमनीयता रही, बता तुही अब किस लोक को गई ? पता नहीं है भुवनान्तराल में, कहाँ गई है तव रूपरम्यता। सजीव होती यदि जीवलोक में, कभी कहीं तो मिलती अवश्य ही।' ऐसी तत्सम शब्दावली से युक्त भाषा को द्विवेदीजी ने अपनी खड़ी बोली में ग्रहण किया है। साथ ही, उनकी खड़ी बोली की मौलिक कविताओं की एक बहुत बड़ी संख्या बालोपयोगी एवं सरल भाषा से युक्त है। उनकी ऐसी सरल भाषा काव्यत्व एवं सारस्य से अधिकांशतः हीन है। उनकी इसी खड़ी बोली के बारे में डॉ० रामकुमार सिंह ने लिखा है : "द्विवेदीजी की काव्यभाषा सीधी-सादी अभिव्यक्ति का माध्यम है। उसमें अपेक्षित काव्यात्मक सौरस्य, श्रुतिप्रियता, माधुर्य और संगीत-तत्व आदि का एकान्त अभाव है। उसे भावसंवाहक न कहकर विचारसंवाहक कहना ही उचित प्रतीत, होता है।"२ द्विवेदीजी की आदर्शमयी एवं उपदेशात्मक समस्त नीतियां इन्हीं कविताओं में अभिव्यक्त हुई हैं और इन्हें कविता मानने में भी हिचक होती है । ऐसा प्रतीत होता है कि द्विवेदीजी ने गद्यभाषा को तुकों में निबद्ध कर देना ही कविता मान लिया था। उनकी ऐसी नीरस काव्यकला के कुछ उदाहरण द्रष्टव्य हैं : १. उद्योग और श्रमशिल्प सिखाओ, व्यापार में मन जरा इनका लगाओ। विद्या विवेक धन-धान्य सभी बढ़ाओ, आरोग्य और बलवान इन्हें बनाओ। २. ' स्वदेशी वस्त्र का स्वीकार कोज, विनय इतना हमारा मान लीजे। शपथ करके विदेशी वस्त्र त्यागो, न जाओ पास इससे दूर भागो॥ १. 'सरस्वती', जून, १९०१ ई., पृ० १९८ । २. डॉ० रामकुमार सिंह : 'आधुनिक हिन्दी काव्यभाषा', पृ० ४०६ ३. 'सरस्वती', फरवरी, १९०२ ई०, पृ० ५० । ४. 'सरस्वती', जुलाई, १९०३ ई०, पृ० २३४ ।
SR No.010031
Book TitleAcharya Mahavir Prasad Dwivedi Vyaktitva Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShaivya Jha
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year1977
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size26 MB
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