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________________ Sa a maANLASSETTLEGosavitaminore १३६ ] आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व (ख) चरितप्रधान निबन्ध : प्राचीन काल के तथा आधुनिक युग के विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट ख्याति अर्जित करनेवाले महापुरुषों की जीवनियाँ द्विवेदीजी ने इस कोटि के निबन्धों में प्रस्तुत की हैं। गौतम बुद्ध, शंकराचार्य, भीष्म पितामह, होमर,मिर्जा गालिब, महारानी दुर्गावती आदि अनेक देशी-विदेशी, पौराणिक, ऐतिहासिक, साहित्यिक, धार्मिक चरित्रों को द्विवेदीजी ने निबन्ध के रूप में प्रस्तुत किया है । 'कोविद-कीर्तन', 'विदेशी विद्वान्' 'चरितचर्या', 'चरित्रचित्रण' जैसे निबन्ध-संग्रहों में द्विवेदीजी के ऐसे ही जीवनचरितात्मक निबन्ध हैं। इन निबन्धों की रचना के पीछे उनका उद्देश्य चरित्र-निर्माण, ज्ञानवृद्धि तथा साहित्यिक भाण्डार को भरना था। (ग) वैज्ञानिक निबन्ध : वैज्ञानिक अनुसन्धानों एवं ज्ञान-विज्ञान-सम्बन्धी अन्य विषयों पर भी द्विवेदीजी ने लेखनी चलाई है। उनके समय में इन विषयों में हिन्दी का साहित्य बड़ा दरिद्र था। इसे वे समझ गये थे, इस कारण उन्होंने न केवल वैज्ञानिक पुस्तकों के प्रकाशन पर बल दिया, अपितु स्वयं भी वैज्ञानिक विषयों पर निबन्ध लिखे । उनके 'अद्भुत अलाप', 'वैचित्र्य-चित्रण', 'विज्ञानवार्ता' और 'प्रबन्ध-पुष्पांजलि' शीर्षक निबन्ध-संकलन ज्ञान-विज्ञान की ऐसी ही जानकारी से भरे हुए हैं । रसायन, भौतिकी, जीवविज्ञान, भूगोल, अनुसन्धान, शिल्प, यान्त्रिकी इत्यादि विषयों पर द्विवेदीजी ने निबन्ध इनमें प्रस्तुत किये हैं। ऐसे निबन्ध द्विवेदीजी ने जनरुचि के परिष्कार, सामान्य ज्ञान के विस्तार एवं हिन्दी के भाण्डार को भरने के उद्देश्य से ही लिखे थे।१ (घ) ऐतिहासिक एवं पुरातत्त्व-विषयक निबन्ध : द्विवेदीजी की निबन्ध-प्रतिभा का एक बहुत बड़ा अंश भारतीय प्राचीन इतिहास एवं पुरात्त्तव-सम्बन्धी अनुसन्धानों के नयेपुराने परिणामों को हिन्दीभाषी जनता के सम्मुख प्रस्तुत करने में व्यय हुआ है । 'अतीत स्मृति', 'पुरावृत्त-प्रसंग', 'प्राचीन चिह्न' जैसे निबन्ध-संकलनों में द्विवेदीजी के भारत के प्राचीन इतिहास से सम्बद्ध निबन्धों का ही संग्रह हुआ है । निबन्धकार ने ऐसे निबन्धों में अपने देश के गौरवपूर्ण अतीत और उसके खण्डहरों में झाँकने का अथक प्रयास किया है । ये निबन्ध द्विवेदीजी के परम्परा और इतिहास-प्रेम के परिचायक हैं। (ङ) आध्यात्मिक निबन्ध : इस कोटि के निबन्ध द्विवेदीजी के आध्यात्मिक चिन्तन, भक्ति-भावना और जिज्ञासा-वृत्ति के पोषक हैं । 'आध्यात्मिकी' नामक निबन्ध-संग्रह में उनके ऐसे धर्म और दर्शन-सम्बन्धी निबन्धों का संकलन हुआ है। इन निबन्धों में आत्मा, परमात्मा, ज्ञान, मुक्ति, निरीश्वरवाद जैसे विषयों पर द्विवेदीजी ने लेखनी उठाई है। १. "हिन्दी में वैज्ञानिक पुस्तकों के प्रकाशन की बड़ी जरूरत है। जो लोग आजकल के उपन्यास तथा वर्तमान समय की रुचि के अनुसार और पुस्तकें प्रकाशित करके मालामाल हो रहे हैं, वे चाहें तो वैज्ञानिक पुस्तकें भी लिखाकर पढ़नेवालों की रुचि धीरे-धीरे वैसी पुस्तकों की तरफ आकृष्ट कर . सकते हैं।"-आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदीजी : 'विचार-विमर्श', पृ० ६२ ।
SR No.010031
Book TitleAcharya Mahavir Prasad Dwivedi Vyaktitva Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShaivya Jha
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year1977
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size26 MB
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